यू आर माय वैलेंटाइन
मैं और तुम
दो अलग अलग
चेहरे
दिल
शरीर
जान
आत्मा
व्यक्तित्व
परिवार
दोस्त
वातावरण
फिर भी हम ऐसे एक दूसरे मे यूं समाहित हुए
मेरा सब कुछ हुआ तेरा
तेरा सब कुछ हुआ मेरा
तेरा मान सम्मान स्वभिमान
सुख दुःख सफलता धन सम्पत्ति
परिवार जिम्मेदारी हुई मेरी
और मेरी हुई तेरी
मेरी ख्याहिशों को
ख्वाबों को
तू ने न सिर्फ समझा
बल्कि सिंचित किया प्रेम से
पोषित किया प्रोत्साहन से
पल्वित किया सहयोग से
तुम से ही जाना है
जीवन के संघर्षों में भी हैं
खुशियों का रहस्य
हर पल
हर कदम
तूने जिस शिद्दत से
साथ निभाया
यूं ही साथ निभाना
ना केवल इस जीवन
जन्म जन्मांतर तक
आज कहता हूँ तुम से
यू आर माय वैलेंटाइन
अर्पणा संत सिंह
डॉ आर कुमार और उनकी धर्मपत्नी