ललिता वर्मा की कविताएं
1.साथ दोगे हमेशा
तुम कभी भी मुझ को बिखरने न दोगे
है मुझे ये यकीं साथ दोगे हमेशा
तुम कभी भी……….
जब कभी राह की ठोकरों से गिरूं तो
फिर से उठकर संभलने की हिम्मत भी दोगे
तुम कभी भी …….
जब कभी भी अवसाद घेरेगा मुझ को
गीत बनकर ह्रदय में धड़कने लगोगे
तुम कभी ………
जब कभी ज़िन्दगी दोराहे पे लाए
है मुझे ये यकीं मार्ग दर्शक बनोगे
तुम कभी भी………
जब कभी अश्रु बन पीड़ा बहेगी
मेरे चित्त में ह्रदय में समाने लगोगे
तुम कभी भी………
जब कभी ज़िन्दगी में छाए अंधेरा
बनके सूरज क्षितिज में दिखने लगोगे
तुम कभी भी……..
जब कभी ज़िन्दगी में हताशा मिले तो
साज बनकर सुरों में सजने लगोगे
तुम कभी भी……..
है मुझे यकीं साथ दोगे हमेशा
तुम कभी भी…….।।
2.क्या कहते हो?
क्या कहते हो?
तिरंगा लहराने से क्या होगा !
वन्दे मातरम जय हिंद कहने से क्या होगा!
राष्ट्रगान गाने से क्या होगा!
एक बार हाथों में तिरंगा उठा कर तो देखो
हवा में लहरा कर तो देखो
धमनियों में जमा रक्त तक पिघल जाएगा ।
मन स्वतःराष्ट्र प्रेम से भर जाएगा।
गर्व से तुम्हारा मस्तक भी ऊंचा उठ जाएगा
जरा आजमा कर तो देखो।
वन्दे मातरम जय हिंद का नारा लगा कर तो देखो
जन गण मन.. ..गा कर तो देखो
तुम्हारा रोम-रोम पुलकित हो जाएगा।
गर्व से तुम्हारा चेहरा दपदपाएगा।
भारत मां का चित्र नजरों के सामने खिंच जाएगा।
अपनी मातृभूमि के लिए सम्मान स्वयं आ जाएगा।
तिरंगा मात्र चिन्ह नहीं
वन्दे मातरम जय हिंद सिर्फ नारा नहीं
राष्ट्रगान सिर्फ गान नहीं
राष्ट्र प्रेम है
दिलों से दिलों को जोड़ने का सूत्र है।
स्वाभिमान से जीने का अधिकार है।
नमन है मेरे देश
मुझे तुझ से प्यार है।
ललिता वर्मा
अहमदाबाद, भारत