पहली मुलाकात

पहली मुलाकात

आंखों की शोखियां
लरजते लब जाने
क्या कह रहे थे चुपके से
कुछ तो राज था गहरा
उस शरारती मुस्कान के पीछे
सुरमुई शाम की आगोश में
कोई नूर सी जगमगाहट
तेरे चेहरे पे पोशीदा सी थी
मोगरे की खुशबू से लबरेज
रेशमी घटाओं से टपकती
शबनम की बूंदे
अल्हड़ मस्त मंद मुस्कुराती
कातर व्याकुल नैना
थोड़ी लजाई सी
कुछ शरमाई सी
जाड़े की धूप सी कुनकुनी
जेठ की दुपहरी वाली
मीठी ठंडी छाव सी
मन को सुकून देती
वीणा की मीठी मोहक तान सी मधुर
खिलखिलाई, खुद ही में समाई
अनगिनत जज्बो को खुद में समेटे
एक धानी चुनर सी
आंखों के सामने वो खूबसूरत लम्हें
जब जब लहराए
मेरे तन मन को
तेरी मीठी यादों से तरबतर कर जाती
वो तेरी मेरी पहली मुलाक़ात।

मधु जयसवाल
लेखक,कवयित्री और संपादक
कोलकाता, पश्चिम बंगाल

0
0 0 votes
Article Rating
8 Comments
Inline Feedbacks
View all comments