निर्बाध प्रेम

निर्बाध प्रेम

भादों की नदी-सी बहती ..
हृदय की
प्यास है प्रेम .
भावना का उफान
मात्र नहीं!
अनुभूति की सच्चाई से भरी…

पानी में
नमक के एकाकार -सा …
स्वाति के बूंदों की
बेकली से प्रतीक्षा
चातक का
हठ है प्रेम !

विरह के बिना उपजता
नहीं यह
सभी विकारों को
भस्म कर देने में सक्षम
आग के
समान है प्रेम !
कराहते समय में
संवेदना की रेत पर बिखर रहा है
प्रेम ….

डॉ उषारानी राव ,
कवयित्री एवं लेखिका ,
विभागाध्यक्ष हिंदी विभाग,
बेंगलुरु केंद्रीय विश्वविद्यालय संबद्ध,
बॉल्डविन महिला महाविद्यालय, बेंगलुरु

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