मैट्रिमोनियल
‘ हैलो जी, मैं अरवी का पिता चेतक अरोरा। आपके बेटे की प्रोफाइल देखी है। आप मेरी बेटी की प्रोफाइल देखी लीजिए।’
‘जी! अभी देखती हूं।’
सरुना तुरंत अरवी की प्रोफाइल देखने लगी। जिसमें लड़की का नाम, जन्म तारीख, जन्म समय, जन्म स्थान के साथ-साथ लड़की की ऊंचाई, रंग-रूप, प्राप्त शिक्षा और कार्यरत कंपनी, के अतिरिक्त बहन-भाइयों के ब्यौरे और कुछेक रिश्तेदारों के नाम व व्यवसाय के बारे में लिखा हुआ था।
यह सब पढ़ सरुना मन ही मन कुलबुला गई। ‘ हूं’, क्या फायदा इतना पढ़ने-लिखने का, महज विवाह के लिए वर-वधू तलाशने का ढंग ही बदला है। बाकी सब वही के वही कच्चे चिट्ठे हैं। जैसे मां, नानी-दादी, ताऊ-चाचा, मौसी-बुआ, मामा-मामी तक सब के रिश्ते ऐसे ही देख-परख किए गए थे। …’
अरवी शुद्ध शाकाहारी और सिगरेट और शराब पीने वाले लड़के नापसंद थे, पेट्स की दीवानी है। उसकी वार्षिक आय पांच व सात लाख के पैकेज में सिमटी थी। भावीपति से अपेक्षा कम से कम बीस लाख से चालीस लाख कमाने वाला, हैंडसम-गौराचिटा, अपने माता-पिता का अकेला सुपुत्र हो।
गहरी सांस लेते हुए सरीना ने मिसेज अरोरा को फोन लगा दिया।
‘ जी, मैं आशु की मम्मी बोली रही हूं। ‘
‘ हां, जी! कहिए ।’
‘ हम आपसे मिलना चाहते हैं।’
‘ जी, जरुर आइए।
आगे बात सुनने से पहले फोन चुप हो गया।
सरुना को अटपटा लगा। ‘भावुक मत हो सरुना ! हो जाएगी बेटे की शादी…अभी उसकी उम्र विवाह के पहले चरण को छू रही है।’ जल्दी से पति महत्ता को अरवी व उसके माता-पिता के बारे में बताने लगी।
मिस्टर महत्ता अपने आदतन स्वभाव से उतर दिया, ‘ अरे! कोई रिश्ता बिन मांगे आया है, कल ही मीटिंग तय कर लो, परसों मैं कंपनी के काम से सात-आठ दिन आउट-ऑफ स्टेशन रहूंगा।
आपसी सहमति से मीटिंग एक तीन सितारा होटल में तय हुई। दोनों के माता-पिता ने एक-दूसरे के बच्चे पसंद कर लिया।
औपचारिक परिचय पश्चात सरुना ने मिसेज अरोरा से कहा , ‘ मेरा बेटा, अरवी से बातचीत करना चाहता है।’
मिसेज अरोरा फॉरवर्ड ब्लॉक विचारों की थीं, झटपट कहा, ‘ हां! क्यों नहीं! अरवी बेटा ! आशु से होटल के लॉन में बात कर सकती हो।’
अरवी और आशु को देख मिसेज अरोरा की स्वर लहरी झूमी, ‘बहिन जी! जोड़ियां संयोग से मिलती हैं।’
सरुना ने कहा, ‘हां जी’ ।
”हमारे जमाने में माता-पिता तय करते थे। आजकल यह अधिकार विदेशी शिक्षा ने बच्चों के हाथ थमा दिया है।’ – मिसेज अरोरा।
‘ जी’ सही, जमाना बदल गया है।’ – सरुना ने धीमे स्वर में कहा।
आपस में घुल-मिल हंस-हंस बातें कर रहें दोनों को तकरीबन पंद्रह मिनट के इंतजार के बाद मिस्टर महत्ता ने फोन कर बुला लिया।
मिस्टर अरोरा ने अपनी बेटी से पूछा, ‘कैसी रही मीटिंग बताओ बेटा।’
बेटी ने टेबल पर पड़ी कोल्डड्रिंक को उठाया और दो घूंट पी कहा, ‘पापा घर चलते हैं। ओके बॉय अंकल, बॉय आंटी, आशु की ओर देख हाथ हिला, अगले पल फिरकी की तरह मुड़ गई।’
अगले दिन आशु द्वारा यह रिश्ता पसन्द करते ही सरुना ने मिस्टर अरोरा से रिश्ते के लिए हां कह दी।
मिस्टर अरोरा ने कहा , ‘ आप मिसेज से व्हाट्सएप पर बातचीत कर जो तय करना है कर लीजिए, हम आदमियों को इन सब बातों की समझ थोड़ी कम ही होती है।
और दोनों के बीच ठहाका गूंज गया।
दो-तीन दिन तक मिसेज अरोरा का संदेश न पाकर सरुना ने फोन लगाया, लेकिन ट्रिं ट्रिं ट्रिं कर चुप हो गया।
मिस्टर महत्ता पत्नी के चुलबुलेपन से भलीभांति वाकिफ थे। उनकी नजर में चुलबुलापन एक घटिया रहन-सहन का संस्कार है। संदेहास्पद दृष्टि से पूछा, ‘ क्या रिप्लाई दिया है मिसेज अरोरा ने।’
‘ कोई जवाब नहीं आया है।’ सरुना ने रुआंसे स्वर में कहा।
कुछ दिनों पश्चात मिसेज अरोरा का मैसेज आया, ‘ Sorry Maine abhi aapka msg dekha.’
सरुना कई दिनों से मिस्टर महत्ता के मीठे तानों से भरमाई थीं। संदेश पढ़ लिख दिया, ‘ब्लू टिक बता देता है मैसेज कब देखा। कोई बात नहीं, आप सॉरी मत कहिए।’
तत्पश्चात इस मैट्रिमोनियल ने दोनों के बीच द्वंद्व छेड़ दिया।
सरुना मिसेज अरोरा को बार-बार समझाती रही, ‘ आप बुरा मत मानिए, यदाकदा ऐसा हो जाता है जिसके कोई विशेष मायने नहीं होते। ऐसे तथ्यों को नजर-अंदाज करना चाहिए।”
मिसेज अरोरा गंभीर मामला जान एक ऑडियो खरी-खोटी वाणी में भेज दिया। जिसे सुन सरुना का पूरा तन झनझना गया। लेकिन इसकी खबर किसी को न लगने दी।
वास्तव में, अरवी सरुना को बेहद पसंद थी। और चाहती थी कि किसी तरह से यह रिश्ता पक्का हो जाए।
सरुना ने ऑडियो के जवाब में कहा, ‘ बहुत ही मीठी आवाज है हम तो उसी में खो गए।’
इधर सब बेसुध हो ख्वाब बुन रहे थे।
मिस्टर महत्ता प्रसन्न थे कि बेटे का रिश्ता जल्दी पक्का हो रहा है।’
उधर अरवी और आशु चैंटिंग पर व्यस्त थे जैसे वे एक-दूसरे के लिए ही बने हों। और अपनी नई फोटो आशु को पोस्ट कर भविष्य संवारने में जुटी थी। बेटा विवाह-बजट तैयार करने लगा था।
किन्तु , ‘ मुझे आपका बेटा पसंद नहीं है। हमारी ओर से यह रिश्ता नहीं हो सकता।’- मिसेज अरोरा के संवाद से सब कुछ तिड़क गया।
निराशा में आशा की किरण बुझते-बुझते फिर जगी। जब फिर से एप्प पर वधू तलाश की जद्दोजहद शुरू होने लगी। जिन्हें आशु पसंद करता, वधू पक्ष अस्वीकार कर देता। जो वर को पसंद करते, उन्हें महत्ता परिवार अस्वीकार कर देता। कश्मकश के इस सिलसिले के चलते व्हाट्सएप पर संदेश आया, Namestey, please share your profile id.
मिस्टर महत्ता, Hello,I am Ashu’s father. Please go through his bio data and if you are satisfied we will take this further. Also send Renuka bio data.
रेनुका की मम्मी ने रेनुका का बायोडाटा तुरंत भेज दिया।
मिस्टर महत्ता ने सरुना को आशु की सारी डिटेल्स देने को कह, अपने में मस्त हो गए।
सरुना का पहला अनुभव रिश्ते मिलाने का बेहद ही कड़वा था। उसने रेनुका की मम्मी सुनीता से ही दोनों की जन्मपत्री मिलान की बात कह दी।
कुछ ही मिनटों सुनीता जी ने फोन कर बताया , ‘ सरुना जी, दोनों के मात्र इक्कीस गुण मिलते हैं। मेरी बेटी मांगलिक है। यदि आप जन्मपत्री मिलान पर विश्वास नहीं रखते हैं तो बात…!’
‘जी’ , ठीक है आपको इनसे पूछकर जवाब देती हूं।’ बीच में ही रोक सरुना ने कहा।
सरुना सोचने लगी, ‘ कितना बदल गए हैं हम सब, लेकिन परांपरागत विचार धारणाएं और रीति-रिवाज बरगद और पीपल की तरह अपनी जड़ें जमाए हुए हैं। कहीं भी कभी भी किधर भी अपनी पसंद से उग आते हैं।’
मिस्टर महत्ता को तो ‘मांगलिक’ शब्द मानो काटो तो खून नहीं सा जा लगा। ‘ नहीं! यह रिश्ता हरगिज मंजूर नहीं। सरुना तुरंत मना कर दो।’
मिस्टर महत्ता को सरुना आजाद विचारों का समझ रही थी। हिंदी बोलने, पढ़ने व लिखने की बच्चों पर पाबंदी थी। बच्चों की सारी शिक्षा अंग्रेजी माध्यम से हुई थी। दिनभर अंग्रेजी फिल्म, सीरियल, अंग्रेजी आचरण ही में ढले थे मिस्टर महत्ता! आज कहां से हिन्दू धर्म आड़े आ गया?
‘उफ! यह सब सरुना तेरे ही लिए था।’
पति की बात को मानते हुए मैसेज कर दिया, ‘ सुनीता जी ! कभी कोई अहितकर बात घटित हो गई तो दोनों को दुख होगा, सो यह रिश्ता स्थगित करते हैं। ईश्वर ने चाहा, भविष्य हम सब के लिए अच्छा ही होगा।’
सरुना हृदय को ठेस पहुंची, ‘ हम धर्म और समय दोनों को अपने-अपने हिसाब से चलाने माहिर होते जा रहे हैं। जो प्रेम विवाह करते हैं, जो जन्मपत्री नहीं बनवाते, वे सभी सुखी गृहस्थ जीवन व्यतीत कर रहे हैं। जीवन में दुख आता-जाता रहेगा। तलाक, वैधव्य, पुनर्विवाह जैसी घटनाएं भी होंगी। और तो और हाथ की गहरी लकीरें भविष्य पहले से तय करती है और महीन रेखाएं हमारे दैनिक कर्म ताने बाने से मिटती उभरती रहती हैं। मृत्यु के साथ जो रेखाएं जाती हैं वही आगे के जन्म में सफर तय कराती हैं।’
मिस्टर महत्ता की आवाज ने सरुना को चौंकाया, ‘कब से फोन बज रहा है, तुम उठाती क्यों नहीं?’
सरुना ने तुरंत फोन उठाया, वहां से मधुर आवाज आई , ‘आपके बेटे की प्रोफाइल हमने देखी है। मेरी बेटी आपके बेटे से बात करना चाहती है। आपकी इजाज़त है ?’
सरुना ने , ‘ हां’ कह फोन रख दिया।
मीना की बेटी राधिका से, आशु ने बात करने के पश्चात सरुना से कहा, ‘ मां ! मैं कब तक ऐसे एक-एक लड़की से बातें करता रहूंगा। क्या मैंं कोई बहुमूल्य वस्तु खरीद रहा हूं ? जिसे खरीदने से मुझे पहले उसकी टेक्नोलॉजी से परिचित होना चाहिए। यह सब क्या है? आई एम फेडअप। प्लीज़, आप जो पसंद करेंगे, वही मेरे लिए सही है।’
मिस्टर महत्ता और सरुना को परिवार व लड़की दोनों ही उचित लगे। अपनी ओर से ‘हां’ संदेश मीना को भेज दिया। मीना और राधिका भी सहमत थीं। मीना ने फोन पर पूछा, ‘ आप सब हमारे घर कब आने का प्रोग्राम बना रहें हैं।’
मिस्टर महत्ता और बेटे आशु से पूछ मीना के यहां जाने का दिन तय कर लिया।
सरुना ने रिश्तों में घनिष्ठता बढ़ाने के उद्देश्य से नौकरी के लिए मुंबई में किराए पर रह रहे घर और नई गाड़ी की तस्वीरें मीना जी को भेज दीं। और आग्रह किया, आप अपनी फैमिली फोटो शेयर कीजिए।
प्रत्युत्तर में मीना जी ने अपने रईसी बंगले की तस्वीरें भेज दीं।
बंगले की तस्वीरें देख, सरुना ठंडी आह भरी, ‘ हे भगवान! ओह! इस बार बंगला आड़े है रिश्ते की हैट्रिक में।
झटपट सरुना ने मीना जी को लिखा , ‘ यह सब हम नहीं देखना चाहते हैं, आपकी अपनी फैमिली फोटो भेजिए। आपका बंगला बहुत सुंदर है। हमारे पास अपना एक छोटा फ्लैट है।’ और साथ में बेटे के घर के चित्र भी भेज, लिखा,: बेटे को अपना घर स्वयं बनाने व आकर्षक ढंग से संवारने का शौक है। आपकी बेटी की पसंद क्या-क्या हैं? ‘
मीना जी ने संदेश भेजा , Me aap ki baat radhika se karva dungi aap khud hi puch lena use traveling ki or reading ki hobbies hai . Or kuchh interior ka ka bhi shock hai. Apna room sab kr ke jati hai. pur khana banana nai aaya hai. aajkal Saturday Sunday burtan dhoti hai.
इस ज्ञापन ने ज्ञान दिया,’बड़े घर की बेटी है, सरुना संभल कर चलना।’ और यह रिश्ता टी वी संदेश की भांति ‘ रुकावट के लिए खेद है’ सा स्क्रीन पर ब्लिंक करने लगा।
वाह रे ! भारतीय संस्कृति और विरासत सभ्यता पर छाया पाश्चात्य संक्रमण। जिसका संबंध लिव इन रिलेशनशिप से शुरू हो, लव मैरिज और पारंपरिक अरेंज मैरिज के झरोखों से पड़ मधुबन खिलाने का प्रयास करता है। कॉलेज और दूर महानगरों में नौकरी या व्यवसाय करने वाले अविवाहित नवयुवक व युवतियां इसी प्रक्रिया से ही कैसे आगे बढ़ रहे हैं? सबको संज्ञान है।
खैर, सरुना तू अकेली क्यों सोचती है? चल उस रुख चल जिस रुख सब मुड़ चलते हैं। और सरुना ने फोन देखा जिस पर एक संदेश मौजूद था। इस उच्च शिक्षित मां को बेटी के विवाह की चिंता अधिक थी। ईश्वर प्रदत्त रंग-रूप में शालीनता प्राप्त कर घर से ही आगे की पढ़ाई और ट्यूशन करती थी। लेकिन इस बार फिर से जन्मपत्री मिलान ने सारे अरमानों को एक झटके में तोड़ दिया। यहां अट्ठारह गुणों का मिलान का आंकड़ा सरुना को किसी महाभारत के युद्ध से कम न लगा।
सरुना ने घर पर किसी से चर्चा किए बिना कह दिया, ‘ईश्वर ने चाहा, भविष्य में दोनों को संयोग बेहतर मिलेंगे।’
अचानक सरुना को याद आया, उसके दूर के रिश्तेदार भी अपने
बेटे के लिए लड़की तलाश रहें हैं। यह भी उच्च वर्गीय परिवार है, उच्च शिक्षित हैं और धन धान भी ईश्वर की कृपा से खूब है। दुःख की परिभाषा कैसी हो, उसकी विधवा मां की आवाज से अनुभव की जा सकती थी।
लड़की को फ़ैशन व मौसम की हवा न लगी थी। फोटो में थोड़ी हेल्थी दिख रही थी। आजकल लड़के व लड़की दोनों को फिट रहना आवश्यक है। वह समय भी कैसा था? जब विवाह तेरह -चौदह की उम्र में, पैंतीस की उम्र में नाना-नानी, साठ- सत्तर की उम्र आते-आते तक पोते-पोतियों के विवाह व बच्चे देख दुनियां से विदा होते थे। आज तीस-पैंतीस उम्र तक नवयुवक शिक्षा व कैरियर बनाने में झोंक रहें हैं।
उस लड़की की मां से सरुना के ऐसे तार बंध गए जो मालूम नहीं कितने लम्बे और दूर तक साथ चलेंगे। दोनों में सुप्रभात अच्छे मित्र की भांति आरंभ हो गया।
‘ ‘आदि पुरुष’ फिल्म
नाम के विरुद्ध काम
ऊपर से नादान
अंदर से
धन की खादान’
‘Yahi kalyug..gd morningi ji’
‘एक विडियो देखा जो आज के बच्चों की खानें के संबंध में बदलती रुचि पर कटाक्ष करता है। वह मैं भेज रही हूं।’
‘Haha..i too saw it..on fbk also..bahut achha reality aaj ke baccho ki’
‘
Nice morning ji
‘ Bahut sunder likhti aap’
यह मेरी बेटी को भी शौक है। उसका अंग्रेजी कविता का संग्रह प्रकाशित हुआ है। यह पंक्तियां बेटी ने लिखी है –
‘हर शख्स दौड़ता है यहां भीड़ की तरफ,
और चाहता है कि उसे रास्ता मिले
इस दौरे मुंसिफी में जरूरी नहीं ,
जिस शख्स की खता हो उसी को….सजा मिले।’
Hindi me bhi bahut accha command..8 std se likh rahi..kabhi mauka laga to uski 8 std wali poem jo usne likhi tha apse share karungi..bahut thoughtful or matured thoughts uske..mujhe vo poem bahut pasand..splly ek 12 13 saal ki bacchi ke liye jb usne likhi thi
‘ हिंदी साहित्य से जुड़ी पत्रिकाओं में अपनी रचनाएं भेज सकती है। नये लेखकों की खोज रहती है। पत्रिकाओं में निरंतर प्रकाशन करवाने में काफी समय लगता है। आप लोकल समाचार पत्रों में प्रकाशन के लिए भेज सकते हैं। कुछ साहित्यिक ग्रुप बिना रकम लिए रचनाएं प्रकाशित करते हैं। और कुछ की निश्चित एकमुश्त वार्षिक सदस्यता की राशि निर्धारित है। वैसे लेखन अच्छा है तब चिंता नहीं करनी चाहिये। हमारे देश में हिंदी और हिंदी साहित्य दोनों गुटबाजी का शिकार है।’
‘जी! उचित सुझाव है।’
सरुना बेहद चिंतित हुई, जब उस लड़की की मां का फोन आया , ‘एक ओर रिश्ता देखा है, लेकिन गुण मिलान नहीं हो रहे।’ सुरुना का मन हुआ कह दे, ‘ छोड़िए, सारे झमेले, बेटे और बहू के पास विदेश जाकर खुशी से रहें, शायद बेटी का भाग्य वहां जाकर और चमक जाए। आखिरकार कब तक जन्मपत्री के फेर में खुद को घसीटती रहेंगी।’
शायद मैट्रिमोनियल साइड-इफेक्ट्स में जन्मपत्री द्वारा विवाह मिलान बिल्कुल मुंशी प्रेमचंद की प्रतिज्ञा प्रेम-सा है,
” जन्मपत्री एक बीज है, जो एक बार जम कर फिर बड़ी मुश्किल से उखड़ती है। कभी-कभी तो जल, प्रकाश और वायु बिना ही जीवन पर्यन्त जीवित रहती है। ”
शशि दीपक कपूर
मुंबई, भारत