वाणी और कर्म की धनी-फ्लोरिंस रे कैनेडी
“फ्लो के साथ पांच मिनट आपका जीवन बदल देगा “– स्टीनम पत्रिका के संस्थापक का यह कथन अनेक व्यक्तियों के जीवन में अक्षरश: चरितार्थ हुआ है, ऐसा बताया जाता है।
एक मुखर अधिवक्ता की हैसियत से मानव अधिकारों की अत्यंत सशक्त प्रवक्ता और नारीवादी आंदोलन की प्रखर नेता के रूप में प्रसिद्ध “फ्लोरिंस रे कैनडी” का जीवन एक उग्रवादी कार्यकर्ता के रूप में अत्यंत संघर्षपूर्ण रहा।सन 1950 के दशक के बाद संगीत के दिग्गजों बिली हॉलिडे और चार्ली पारकर की संपत्ति पर रॉयल्टी के अधिकारों को लेकर कानूनी लड़ाई लड़ीं, तो फ्लो केनेडी ने नस्लवादी असमानता और पाखंड पर बड़ा आक्रामक रुख प्रदर्शित किया।
शैरी रैडोल्फ ने अपनी पुस्तक “फ्लोरिंस फ्लो कैनेडी –लाइफ आफ ए रेडिकल ब्लैक फेमिनिस्ट” में फ्लो को उद्धृत करते हुए लिखा है –
मेरा मुख्य संदेश यह है कि हमारे पास एक विकट संस्थागत रूप से नस्लवादी वर्गवादी समाज है जो नकारात्मक ढंग से काम करता है जिसके द्वारा न केवल काले लोगों को नुकसान पहुंचाया जाता है बल्कि निर्दोष महिलाओं,समलैंगिकों, पूर्व जेल कैदियों,बच्चों, विकलांग लोगों और मूल अमेरिकियों को भी बहुत नुकसान पहुंचाया जाता है।
सशक्त सामाजिक कार्यकर्ता के रूप में अपनी अलग पहचान स्थापित करने वाली फ्लॉरिंस रे कैनेडी का जन्म मिसाॅरी अमेरिका के कैंसाॅस नगर में 11 फरवरी 1916 को हुआ था। विली और ज़ेला कैनेडी की 5 बेटियों में दूसरे नंबर की संतान थी फ्लो कैनेडी । श्री विली पुलमैन पोर्टर थे ,जो बाद में टैक्सी व्यवसाय के मालिक हुए ।
कैनेडी ने अपनी आत्मकथा- “कलर मी फ्लो : माय हार्ड लाइफ एंड गुड टाइम्स” में लिखा है –उसके माता-पिता के सुरक्षात्मक रवैए ने उसे और बहनों को बहुत विशेष अनुभव करवाया था।फ्लो कैनेडी ने “चार्ल्स डाई” नाम के एक लेखक से विवाह किया। अपनी आत्मकथा में अपनी माता जी के बारे में जानकारी दी है कि –हमारी माता ने सदैव किसी प्रकार एक एस्थेटिक परिवेश को बनाए रखने का प्रयास किया। माता हमारे लिए आशा की प्रतीक रहीं। हमने उनसे तप, संघर्ष और आशावाद की विशेषताएं भरपूर मात्रा में प्राप्त की।
महिलाओं के अधिकारों के साथ ही वंचितों के अधिकारों के लिए उग्रवादी कार्यकर्ता के रूप में प्रसिद्धि प्राप्त करने वाली फ्लोरिंस ने 84 वर्ष की आयु में अमेरिका के न्यूयॉर्क नगर में अंतिम श्वास ली।
फ्लो के नाम से प्रसिद्धि प्राप्त करने वाली फ्लोरिंस की वाणी और कर्म दोनों में ही अद्भुत फ्लो (बहाव) और गति देखी गई, इसलिए उनका यह नाम भी सार्थक हुआ । समाज में क्रांतिकारी परिवर्तन लाने के लिए आरंभ से ही प्रतिबद्ध रहने वाली फ्लो ने 1948 में बी ए और सन् 1951 में कोलंबिया विश्वविद्यालय से एलएल.बी. की डिग्री प्राप्त की। इसके पूर्व कोलंबिया लॉ स्कूल में समवर्ती नामांकन के समय जो घटना घटित हुई, वह फ्लो के जीवन में बड़ा परिवर्तन लेकर आई । जब वहां नामांकन का प्रयास किया तो फ्लो कैनेडी को प्रवेश से मना कर दिया गया क्योंकि वह एक महिला थी। क्रोधित होकर कैनेडी ने डीन को पत्र लिखा, जिसमें सुझाव दिया गया कि यह कदम नस्लवादी भावना से प्रेरित था, जिसके कारण मुकदमा चल सकता है। सन 1948 में फ्लो को लाॅ स्कूल में प्रवेश मिला,जहां फ्लो 8 महिलाओं में अकेली अश्वेत महिला थी । यहां से डिग्री प्राप्त करने के पश्चात फ्लोरिंस कैनेडी ने एक अधिवक्ता के रूप में सन् 1954 में अपना कार्य भी आरंभ कर दिया था।
सन् 1965 में एक घटना घटित हुई। जब फ्लो ने ईस्ट 48 स्ट्रीट पर अपने घर पहुंचने का प्रयास किया और पुलिस ने मानने से इनकार कर दिया कि वह पड़ोस में रहती है,उसी समय से उन्होंने अपना ध्यान नस्लवाद और भेदभाव का मुकाबला करने में लगाया। नारीवाद और नागरिक अधिकारों के कार्यकर्ता के रूप में दिन-रात बहुत काम किया।
सन 1966 में फ्लो ने मीडिया वर्कशॉप की स्थापना की और शीघ्र ही उसने कार्य भी आरंभ कर दिया। इसका उद्देश्य मीडिया को चुनौती देने के लिए रणनीतियों पर चर्चा करना था। फ्लो का कहना था कि यदि विज्ञापनदाता अपने विज्ञापनों में काले लोगों को नहीं दिखाते हैं, तो वह विज्ञापन दाताओं के बहिष्कार के लिए होने वाले आंदोलन का नेतृत्व करेंगी ।
इसके पश्चात फ्लोरिंस ने तीन ब्लैक पावर सम्मेलनों में भाग लिया।एच रैप ब्राउन,एस्ता शकूर और ब्लैक पैंथर का भी प्रतिनिधित्व उन्होंने किया ।
सन 1965 में ही मिस अमेरिका प्रतियोगिता के विरोध के लिए तैयारी करने में फ्लो ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उल्लेखनीय है कि मिस अमेरिका कार्यक्रम का आयोजन का इस्तेमाल महिलाओं के शोषण को प्रदर्शित करने के लिए एक उपकरण के रूप में किया गया था।
सन् 1967 में फ्लो कैनेडी के जीवन के वक्ता कैरियर का शुभारंभ हुआ । एक बड़े कार्यक्रम में जब ब्लैक पैंथर बॉबी सीले को बोलने की अनुमति नहीं दी गई, तो वह आग बबूला हो गई।अपने संस्मरण में उन्होंने लिखा है – “मैंने माइक छीन लिया फिर चिल्लाना और चिल्लाना शुरू कर दिया” । इसके बाद तो सन 1970 से 1980 तक के दशक में प्रखर वक्ता के रूप में फ्लो की पहचान स्थापित हो गई थी ।
समाज में जहां-जहां भी फ्लो ने असमानता देखी, महिलाओं पर अत्याचार होते देखे,उन्हें दोयम दर्जे का मान कर उनके साथ अमानवीय भेदभाव होता देखा, उन्होंने डटकर विरोध किया।महिलाओं के लिए एक राष्ट्रीय संगठन कार्यरत था , जिसकी वह अत्यंत सक्रिय सदस्य रहीं। उन्हीं दिनों में वह निरंतर एक सशक्त नारीवादी पार्टी की स्थापना पर भी विचार करती रहती थीं, जिसके माध्यम से महिलाओं,अश्वेतों, समलैंगिकों और अन्य अल्पसंख्यक समुदायों के अधिकारों की सुरक्षा के लिए अधिक सशक्त ढंग से आवाज उठाई जा सके। अपने इस उद्देश्य की प्राप्ति के लिए वह विभिन्न मंचों पर संघर्षरत रहती थी ।
फ्लोरिंस कैनेडी ने गर्भपात के अधिकारों का भी समर्थन किया और डायने शुल्ज़र के साथ मिलकर इस विषय पर एक पुस्तक का सह- संपादन और लेखन कार्य भी किया।
फ्लोरेंस रे कैनेडी की प्रमुख रचनाएं –
कलर मी फ्लो .. माय हार्ड लाइफ एंड गुड टाइम्स, प्रेंटिस हॉल ( सन् 1961)
एबार्शन रैप(डायना शुल्डर के साथ)
मैकग्रा हिल ( विलियम एफ पैप्पर के साथ ) 1971
रोजगार में यौन भेदभाव, व्यवसाय और छात्र के लिए एक विश्लेषण और गाइड मिक्सी कंपनी (सन् 1981)
उल्लेखनीय काले,अमेरिकी महिला,आंधी ( सन् 1992 )
प्रतिकूल परिस्थितियों में संघर्ष करते हुए सन 1973 में फ्लोरिंस कैनेडी ने मार्गरेट हंटर के साथ मिलकर “नेशनल ब्लैक फैमिनिस्ट ऑर्गेनाइजेशन एन बी एफ ओ की सह- स्थापना की, जो नस्लवाद,लैंगिक भेदभाव के मुद्दों तथा प्रजनन अधिकारों और नसबंदी अभियानों से भी निपटता था।
सन 1973 में ही एक और विस्मयकारी घटना घटित हुई। हार्वर्ड विश्वविद्यालय में महिलाओं के लिए शौचालय की कमी का विरोध करने के लिए महिलाओं ने विश्वविद्यालय की सीढ़ियों पर गंदे पानी के जार उलट दिए थे, जिसमें कैनेडी ने भी सक्रिय रुप से सहभागिता की थी।इस विषय में पूछे जाने पर फ्लो ने बताया — महिलाओं की उचित मांगों और उनकी समस्याओं की ओर बार-बार ध्यान दिलाए जाने पर भी जब व्यवस्था की ओर से कोई उत्तर नहीं मिला तो विवश होकर हमें ऐसा करना पड़ा ।
उसी अवसर पर फ्लो ने अपने बारे में बताया कि —
मैं सिर्फ मध्यम आयु वर्ग की एक तेजतर्रार महिला हूँ, बहुत से लोग सोचते हैं कि मैं पागल हूँ, किंतु मेरा कहना है कि यदि अपने अधिकारों के लिए लड़ने वालों को लोग पागल समझते हैं तो समझते रहें।
सन 1977 में फ्लो कैनेडी, प्रेस की स्वतंत्रता के लिए महिला संस्थान डब्ल्यू आई एफ पी की सहयोगी बनी। यह संस्था महिलाओं को महिला आधारित मीडिया से जोड़ने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है,ताकि महिलाएं निर्भीक होकर अपने मुद्दों,अपनी समस्याओं के लिए समाज के जिम्मेदार लोगों तक अपनी आवाज को पहुंचा सकें ।
एक विशेष प्रकार का काऊबाॅय हैट और धूप से बचने के लिए आंखों पर गुलाबी चश्मा तथा मोटी पलकें फ्लोरिंस की पहचान बन चुके थे । फ्लोरिंस कैनेडी को 2020 में बायोपिक्स में देखा गया। मिसेज अमेरिका एफ एक्स लिमिटेड की श्रृंखला में और एक अन्य क्रांतिकारी मूवी में । सन् 2020 में ग्लोरिया स्टीनम की बायोपिक ” दी ग्लोरिया ” में लोरी टोसेंट ने उनके चरित्र को पर्दे पर उतारा । सन् 2023 में हिस्ट्री ऑफ द वर्ल्ड (पार्ट 2) में किम वाइटले ने भी उनकी भूमिका निभाई ।
जैसन चेंबर्स अपनी पुस्तक -“मेडिसिन एवेन्यू एंड दी कलर लाइन:एफ्रीकन – अमैरिकन्स इन द एडवरटाइजिंग इंडस्ट्री” में लिखते हैं – हाई स्कूल के पश्चात स्नातक होने पर कैनेडी ने एक कोका कोला बॉटलर के विरुद्ध सफल बहिष्कार का आयोजन किया, जिसने अश्वेत ट्रक ड्राइवर्स को काम पर रखने से मना कर दिया था।इस प्रकार समाज हित में फ्लो के द्वारा जो आंदोलन,विरोध प्रदर्शन इत्यादि कार्य किए गए, वे अन्य लोगों के लिए प्रेरक बनते गये, जिन्होंने फ्लॉरिंस रे कैनेडी को इतिहास में नागरिक अधिकारों की सशक्त प्रवक्ता और नारीवादी आंदोलन की प्रखर कार्यकर्ता के रूप में प्रसिद्ध कर दिया ।
उर्मिला देवी उर्मि
लेखिका परिचय
लेखिका रायपुर, छत्तीसगढ़ में निवास करती हैं।हिंदी ,अंग्रेजी , संस्कृत , छत्तीसगढ़ी, राजस्थानी भाषाओं में गद्य -पद्य रचनाओं का राष्ट्रीय – अंतर्राष्ट्रीय पत्र- पत्रिकाओं में प्रकाशन। कविता संग्रह-श्री शक्ति चालीसा , श्री कृष्ण नाम संकीर्तन तथा आलेख संग्रह “उत्साह आपका जीत भी आपकी” प्रकाशित हो चुकी है। अंतर्राष्ट्रीय पटल पर पिछले वर्ष 15 मिनट में 7 भाषाओं में स्वरचित कविताओं का पाठ का एक विश्व कीर्तिमान।हिंदी भाषा और साहित्य की सेवा के लिए हांगकांग, मकाउ,मारीशस ,थाईलैंड, मलेशिया, इंडोनेशिया बैंकॉक , वियतनाम, कंबोडिया, दुबई,अबू धाबी देशों के साथ – भारत के विभिन्न मंचों पर कविता पाठ एवं मंच -संचालन के लिये भी कई बार सम्मानित।नशामुक्ति ,पर्यावरण संरक्षण, वृक्षारोपण अभियान के लिए सम्मानित। कोरोना योद्धा के रूप में सम्मानित ।