दुनिया की पहली नारीवादी कवयित्री: सप्पो

दुनिया की पहली नारीवादी कवयित्री: सप्पो

वो झुकती रही

दुनिया झुकाती रही

उसने सहे हैं दर्द

पर मुस्कुराती रही

यही दस्तूर है

तो परवाह न कर

नाजुक फूल नही

अब तू पाषाण बन

कठोर रियायतें हैं

ये दुनिया की सदा

पार कर हौंसले से

तू आगे तो बढ़

अब सरस्वती

के संग संग

दुर्गा का भी तू

आह्वान तो कर।

हमारे समाज में सदियों से नारी को अपने अस्तित्व की लड़ाई खुद ही लड़नी पड़ी है, चाहे वह कोई भी क्षेत्र रहा हो। यह आज के युग की ही बात नहीं है, ईसा पूर्व में भी महिलाओं को पुरुषों के वर्चस्व को स्वीकार करने के साथ ही अपने वजूद के लिए संघर्ष करना पड़ा है, और इन सबसे उभर कर ही उन्होंने विश्व की महानायिकाओं में अपना स्थान सुनिश्चित किया है। विश्व इतिहास की ऐसी ही एक महानायिका से आज मैं आपको परिचित कराने जा रही हूँ जिसने धारा के विपरीत जाकर अपनी रचनाओं के माध्यम से समाज में नारी चेतना का स्वर बुलंद किया ।

“सप्पो” लेस्बोस द्वीप से एक पुरातन यूनानी कवयित्री थी। सप्पो की कविता प्रगीतक कविता थी, और उसे प्रेम कविताओं के लिए सबसे अधिक जाना जाता है। सप्पो एक विलक्षण कवयित्री थी। जिसने लगभग दस हजार से अधिक पंक्तियों की रचना की थी। उनकी कविता प्राचीन काल से ग्रीस में प्रसिद्ध और बहुत प्रशंसित थी। वह हेलेनिस्टिक अलेक्जेंड्रिया के विद्वानों द्वारा सबसे अधिक सम्मानित ‘नौ गीत कवियों’ में से एक थी। सप्पो संगीत के साथ गाए जाने के लिए लिखी गई गीतात्मक कविता के लिए जानी जाती है। प्लेटो ने उसे ‘दसवीं सरस्वती’ कहा और उसे “द कवयित्री” जैसे नाम दिए गए थे। सप्पो की अधिकांश कविता अब खो गई है। जो कुछ भी शेष बची है वह ज्यादातर खंडित रूप में बची हुई है। केवल “ओड टू एफ़्रोडाइट” निश्चित रूप से पूर्ण है। उसके काम की कमी (या कम से कम जो बच गया है) के बावजूद, सप्पो की बाद के कवियों द्वारा बेहतरीन शब्दों में प्रशंसा की गई है। ‘द फीमेल होमर’ उनके लिए कई उपाधियों में से एक है।

सप्पो की जीवनी के आधारभूत तथ्य

सप्पो के जीवन को आधार मानने वाले तीन प्रमुख फैक्टर हैं: एक तो वीणा धारण करने वाली महिला का फूलदान चित्र। सप्पो पेंटर द्वारा निर्मित 510 ईसा पूर्व सप्पो की कालपिस पेंटिंग, जो उसी के द्वारा निर्मित मानी जाती है जो वर्तमान में राष्ट्रीय संग्रहालय, वारसॉ में स्थापित है। म्यूनिख में ग्लाइप्टोथेक म्यूजियम में एक महिला की संगमरमर की खण्डित मूर्ति..ये सब सप्पो के अस्तित्व को बयान करते हैं। छठी शताब्दी ईसा पूर्व के एक एथेनियन फूलदान में सप्पो को एक वीणा पकड़े हुए दिखाया गया है, जिसे वह एक छोटे उपकरण से साध रही है जिसे आधुनिक पलेक्ट्रम के अग्रदूत के रूप में पहचाना जा सकता है। क्या उसने इसका आविष्कार किया था? इतिहासकार इसके लिए अनिश्चित हैं, लेकिन ऐसा प्रतीत होता है कि सप्पो उस समय वाद्य यंत्र के तारों को बजाने के लिए एक पल्ट्रम का उपयोग कर रही थी। जब बाकी सभी वीणा के तारों को खींचकर खुश थे।

सप्पो की कविता में काव्य सौंदर्य :

सप्पो का काव्य मूल रूप से गीत काव्य है। प्राचीन टीकाकारों ने दावा किया है कि सप्पो ने लालित्य और आयंबिक मीटर वाली (पांच पदी) कविता लिखी थी।सप्पो के काव्य में गीतात्मक में शाब्दिक और अलंकारिक दोनों कथन है। शाब्दिक इसलिए क्योंकि सप्पो की आयतें वास्तव में गीतों के रूप में लिखी गई थीं। जिन्हें वीणा की संगत के साथ प्रभावशाली ढंग से बजाया जाता था। अलंकारिक इसलिए क्योंकि उनकी कविता में एक संगीत गुण है और भावना से ओत-प्रोत है।

पर खेद की बात यह है कि सप्पो प्राचीन यूनान की पहली ऐसी विदुषी महिला थी जिसके कार्यों का विश्लेषण करने के बजाय उसकी कामुकता, संकीर्णता, और यौन अभिविन्यास पर ज्यादा शोध किया है। ऐरोन पूचिगियन इस बारे में तर्क देते है कि उसके सार्वजनिक प्रदर्शन के कारण इसकी निंदा की गई थी। लेकिन एक महिला होते हुए उसने समाज की धारा से विपरीत जाकर कैसे नारी चेतना की हुंकार भरी, इसके लिए उसके जीवन के बारे में विस्तृत अध्ययन की आवश्यकता है।

सप्पो का जन्म और तत्कालीन राजनीतिक परिस्थितियां :सप्पो के जीवन के बारे में बहुत कम जानकारी उपलब्ध है। उसके जीवन काल के बारे में अनुमान लगाया जाता है कि यूनानी 630 ईसा पूर्व से लेकर 570 ईसा पूर्व तक रहा है। सप्पो लेस्बोस की राजधानी मायटिलीन में रहती थी जो एक प्रसिद्ध शहर है। वह एक अमीर परिवार से थी। हालांकि उसके माता-पिता के बारे में ज्यादा विवरण उपलब्ध नहीं है। प्राचीन सूत्रों का कहना है कि उसके तीन भाई थे: चरक्सोस, लारिचोस और यूरीगियोस। 2014 में खोजी गई कविता ‘ब्रदर्स’ में उनमें से दो चरक्सोस और लारिकोस का उल्लेख भी किया गया है।

सप्पो के जीवनकाल के दौरान, मायटिलीन राजनीतिक उथल-पुथल में उलझी हुई थी। शासकीय अव्यवस्था पूरे ग्रीस में आम थी। कुलीन परिवार एक दूसरे के खिलाफ लड़ाई में व्यस्त थे जबकि अत्याचारी सत्ता का शासन था। सप्पो के शहर में सत्ता पर काबिज लोगों से विरोधी गुट अक्सर आगे निकल जाते थे। 600 ईसा पूर्व के आसपास सप्पो को सिसिली से निर्वासित कर दिया गया था। किंवदंती के अनुसार, फेरीवाले फॉन से अपने प्यार के कारण उसने ल्यूकाडियन चट्टानों से छलांग लगाकर आत्महत्या कर ली थी।

वर्षों से कई आलोचकों और इतिहासकारों ने सप्पो को बदनाम करने की कोशिश की है। और तर्क दिया है कि जब उन्होंने एक महिला के साथ प्यार में एक महिला के रूप में लिखा था। वह बस अपनी कविता के लिए एक काल्पनिक उपमाएं बना रही थी। यहाँ यह समझना कठिन है कि उसने ऐसा क्यों किया होगा। प्राचीन ग्रीस समाज में आज की तरह यौन शिक्षा जैसी सहूलियत नहीं थी। हाँ, पुरुष कामुकता बहुत अधिक थी और कई पुरुष पुरुष-महिला और पुरुष-पुरुष दोनों संबंधों में उलझे हुए थे जोकि तत्कालीन गद्य, कविता, संगीत और मिट्टी के बर्तनों पर प्रतिष्ठित छवियों के माध्यम से परिलक्षित भी होती है। पर महिलाओं के लिए यह सब सरल नहीं था। उनकी यौन स्वतंत्रता बहुत अधिक सीमित थी और निश्चित रूप से महिला-महिला रोमांटिक और यौन संबंध स्वीकृत नहीं थे।

ऐसे समय में जब समाज अपनी रूढ़िवादी सोच के चलते महिलाओं को हाशिये पर रखने की कोशिश कर रहा हो, ऐसे में अपनी कविताओं के माध्यम से समस्त नारी जाति का प्रतिनिधित्व करने का श्रेय निस्संदेह सप्पो को जाता है।

सप्पो का लेखन इस अर्थ में एक विसंगति है कि उसने इस विषय और व्यवहार पर खुलकर चर्चा की, और इसे विचारोत्तेजक भाषा के साथ आगे बढ़ाया।

सप्पो की कविता और नारी स्वर

सप्पो ने अपने समय में अलग तरीके से क्रांतिकारी स्वर को उठाया। भले ही उनकी कविताएं विशेष रूप से बदलाव की वकालत नहीं कर रही हों, लेकिन वह लिख रही थी, और वह इसके लिए प्रसिद्ध भी हो रही थी। पहले व्यक्ति के दृष्टिकोण से लिखी गई उनकी कविताएँ घरेलू जीवन, शादी समारोह, कौमार्य, मातृत्व और सबसे बढ़कर प्रेम की बात करती हैं। सप्पो समाज की आधी आबादी की आवाज बनती है, जिसे आमतौर पर उस समय के पुरुष लेखकों द्वारा अनदेखा किया जाता था। सप्पो जब महिलाओं की बात करती है तो वह एक महिला के रूप में बोलती है। सप्पो की कविता इतिहासकारों को प्राचीन ग्रीस में समलैंगिक महिलाओं के जीवन के बारे में एक दुर्लभ दृष्टिकोण प्रदान करती है। काफी हद तक अनकही महिला का इतिहास। महिलाओं को लेकर वह विचारोत्तेजक दृष्टि स्थापित करती है।

सप्पो की क्वीर कविता को बेहतर ढंग से समझने के प्रयास में उस समय के लोगों के अतीत का अन्वेषण करना आवश्यक है।

सप्पो की कविताओं का विषय :

सप्पो की कविताएँ आमतौर पर महिलाओं के बीच संबंधों पर केंद्रित हैं। इस फोकस नें ऐसी अटकलों को जन्म दिया कि सप्पो की महिलाओं में दिलचस्पी थी जिसे आज समलैंगिक कहा जाता है और यहाँ यह विचार भी सामने आया कि “लेस्बियन” शब्द उसके जन्म स्थल लेस्बोस द्वीप और वहां की महिलाओं के समुदायों से आया है। लेकिन यहाँ यह ज्ञातव्य है कि सप्पो की कविताओं के भावों की सम्प्रेषणीयता सिर्फ प्रेम को उद्धृत करती प्रतीत होती है ।

उनकी दो कविताओं की कुछ पंक्तियां देखिए:

प्यारे चाँद के आसपास के तारे

उनके रूप की शोभा को छिपा लो

जब उसकी संपूर्णता में

क़वह सबसे तेज चमकता है

पूरी पृथ्वी पर..

और..

वह मुझे देवताओं के बराबर लगता है,

वह आदमी जो आपके सामने बैठा है

और सुनता है

आपकी मधुर वाणी को

और प्यारी हँसी.. मेरा दिल

मेरे सीने में धड़कने लगता है।

जब मैं तुम्हें एक पल के लिए भी देखती हूं

तब मैं और कुछ नही बोल सकती..

यह सप्पो की कविता में छंद की गुणवत्ता को प्रदर्शित करता है। वह प्रेम की परिवर्तनकारी शक्ति को व्यक्त करने के लिए विभिन्न प्रकार की इंद्रियों का उपयोग करती है: दृष्टि, ध्वनि और स्पर्श। यह भी उल्लेखनीय है कि सप्पो निश्चित रूप से यहाँ एक महिला के रूप में शिखर पर है, जो मूल ग्रीक में उसके शब्द चयन से स्पष्ट होता है। उनकी कविता पूरी तरह अच्छी और सच्ची भावना से ओतप्रोत है। जिस तरह से वह इन विभिन्न भावनाओं को इतने स्पष्ट, सरल और वाकपटु गद्य में एक साथ रचती है, उसकी ये सृजनता उल्लेखनीय है। हम उसमें एक भावना नहीं बल्कि कई भावनाएँ एक साथ आते हुए देखते हैं। यह सब निश्चित रूप से प्यार में लोगों के साथ होता है।

अब एक अलग भाव की कविता का अंश देखिए जिसमें जीवन दर्शन भी झलकता है।

जब तुम मर जाओगे

तो तुम्हारी कोई याद नहीं रहेगी,

बाद में कोई तुम्हें याद नहीं करेगा

क्योंकि तुम्हारा कोई हिस्सा नहीं है

पिएरिया के गुलाबों में।

घर में अनजान अधोलोक में भी,

तुम भटकोगे,

मुरझाई हुई लाशों के पीछे छटपटाते हुए।

एक छोटी खंडित कविता जिसमें सप्पो अपनी बेटी क्लीस की चर्चा करती है:मेरे पास एक सुंदर बच्चा है जो सुनहरे फूलों की तरह है रूप में, मेरी प्यारी क्लीस, जिसके लिए मैं लिडा या लवली भी नहीं कहूंगी …यह बहुत लंबी नहीं है, लेकिन उल्लेखनीय बात यह है कि कैसे इस कविता के माध्यम से सप्पो अपनी बेटी के प्रति गर्व को प्रदर्शित करती है। प्राचीन ग्रीस में बेटियों को आमतौर पर समृद्धि और यश के प्रतीक के रूप में नहीं देखा जाता था। पुत्र ही परिवार में भाग्य और प्रतिष्ठा लाने वाला माना जाता था। फिर भी यह स्पष्ट है कि सप्पो क्लीस को कितना प्यार करती थी। वह उसकी तुलना सुनहरे फूलों से करती है। वह यह भी बताती है कि उसके स्थान पर वह और कुछ भी स्वीकार नहीं करेगी, चाहे वह कितना भी बड़ा पुरस्कार ही क्यों न हो।

इतनी उच्च प्रशंसा के साथ क्लीस के लेखन में, सप्पो एक माँ के रूप में बोलती है जो अपनी बेटी से प्यार करती है। लेकिन वह कुछ और भी करती है। क्लीस को एक मान देकर, सप्पो सभी महिलाओं को एक मान प्रदान करती है। वह महिलाओं के मूल्य की वकालत करती है। वह महिलाओं के अस्तित्व का जश्न मनाती हैं।

इसीकारण मुझे लगता है कि सप्पो को दुनिया की पहली नारीवादी कवयित्री कहा जा सकता है। पुरुष प्रधान आवाजों के प्रभुत्व वाली दुनिया में, सप्पो ने महिलाओं के मूक दायरे को आवाज दी। इसके अलावा, उन्होंने महिलाओं को एक सराहनीय प्रकाश में रखा। वह उन महिलाओं के बारे में कविताएँ बुनती हैं जो मंत्रमुग्ध करने वाली, चतुर और जीवन को आनंदमय बनाती हैं। सप्पो का काव्य केवल टुकड़ों में हमारे पास आ सका है, लेकिन ये टुकड़े निश्चित रूप से एक शक्तिशाली और यादगार नारीवादी आवाज बनाने के लिए पर्याप्त हैं। सप्पो की कविता अभी भी असाधारण मानी जाती है और उनकी रचनाएँ अन्य लेखकों को प्रभावित करती हैं। वह गीतकार कवियों के लिए एक प्रतीक बन गई है।

तो अंत में यह स्पष्ट है कि जब चहुं और नारी उत्पीड़न का अंधकार व्याप्त था, उस समय अपने लेखन को मशाल की भांति प्रज्वलित कर सप्पो ने समाज को नवीन रोशनी का दृष्टिकोण उपलब्ध कराया। भले ही अनेकों आलोचनाओं का सामना करना पड़ा हो, लेकिन निडरता से तटस्थ हो कर न केवल नारी जाति के उत्थान के लिए अपितु समग्र आयामों को समाहित कर संवेदनशील कवयित्री होने का महत्वपूर्ण जज्बा प्रदर्शित किया। मानव इतिहास में वो पहली कवयित्री कही जा सकती है जिन्होंने अपने लेखन को लयबद्ध करने के लिए एक वाद्य यंत्र का भी निर्माण किया। मानवीय संवेदनाओं की कुशल चितेरी सप्पो को इसीलिए विश्व इतिहास की प्रमुख महिलाओं में उच्च स्थान प्राप्त है।

सीमा भाटिया

पंजाब, भारत

लेखक परिचय

गद्य और पद्य दोनों विधाओं में लेखन ।प्रकाशित पुस्तकें:’मन की देहरी से’ और विभिन्न साझा काव्य संग्रहों और लघुकथा संग्रहों और पत्र पत्रिकाओं में रचनाओं का प्रकाशन ।दूसरी पारी (आत्मकथात्मक संस्मरण संग्रह)।’जगमग दीपज्योति’ पत्रिका में अतिथि संपादक। “शुभतारिका” पत्रिका में मेरी कहानी “सात वचन” को 2017 में तृतीय पुरस्कार। ‘गृहस्वामिनी’ द्वारा मुंशी प्रेमचंद जी की स्मृति में आयोजित प्रतियोगिताओं में दो बार पुरस्कृत।

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