हार्ट अटैक

युवाओं में हार्ट अटैक

आज जब हार्ट अटैक सबसे ज्यादा मौतों का कारण बन चुका है, इसलिए हमारे लिए यह जानना आवश्यक है कि हार्ट अटैक क्या है? हार्ट अटैक पड़ने पर क्या किया जाए और हार्ट अटैक के बाद क्या सावधानियां बरती जाएँ ?

आम तौर पर ज्यादातर लोग दिल के दौरे की सही पहचान नहीं कर पाते हैं। उसे अपच, पेट में गैस या एसिडिटी समझकर मरीज को सामान्य फिजिशियन के पास ले जाते हैं, जिससे इस बीच बहुत कीमती वक्त की बरबादी होती है और मरीज के लिए खतरा और भी बढ़ जाता है। दिल का गंभीर दौरा पड़ने की ज्यादातर स्थितियों में एक घंटे के अंदर ही मरीज की मौत होने की आशंका रहती है और अगर इस दौरान मरीज को हृदय चिकित्सा की आधुनिकतम सुविधाओं वाले अस्पताल पहुँचा दिया जाए तो उसकी जान आसानी से बच सकती है। मरीज को अस्पताल पहुँचने तक जीवन-रक्षक दवाइयाँ और छाती की मालिश एवं कृत्रिम सांस यानि (Cardiopulmonary resuscitation) जैसे प्राथमिक उपचार मिल सकें तो मरीज की जान बचने की संभावना बहुत अधिक होती है। लेकिन हार्ट अटैक के प्राथमिक उपचार के बारे में लोगों में अज्ञानता एवं जागरूकता के आभाव के कारण मरीज के सगे-संबंधी भी मरीज की मदद नहीं कर पाते हैं ।

हार्ट अटैक क्या है ?

आमतौर पर हृदय को खून की आपूर्ति करनेवाली किसी रक्त धमनी में रक्त के थक्के या कोलेस्टेरॉल के जमाव के कारण रुकावट पैदा हो जाने से हृदय को रक्त की आपूर्ति रुक जाती है।
रक्त के अभाव में हृदय की मांसपेशियों में नुक़सान होना आरंभ होता है जिस कारण छाती में तेज दर्द उठता है। इन मांसपेशियों की मौत से हृदय के टिशूज में विद्युतीय अस्थिरता उत्पन्न हो जाती है। विद्युतीय अस्थिरता के कारण दिल की धड़कन या तो अनियमित हो जाती है या रुक जाती है।
इससे हमारा दिल दिमाग सहित शरीर के अन्य अंगों को आक्सीजन युक्त स्वच्छ रक्त नहीं भेज पाता है। जो इन सभी अंगो के काम करने के लिए जरुरी होता है |

हार्ट अटैक के लक्षण :

#  हार्ट अटैक कई बार सीने में तेज दर्द के रूप में उठता है। यह दर्द छाती के बिलकुल बीच के भाग (वक्षास्थि) के ठीक नीचे से शुरू होकर आस-पास के हिस्सों में फैल सकता है। कुछ लोगों में यह दर्द छाती के दोनों तरफ फैलता है, लेकिन ज्यादातर लोगों में यह बाई तरफ अधिक फैलता है।

# यह दर्द हाथों और अँगुलियों, कंधों, गरदन, जबड़े और पीठ तक पहुँच सकता है।

#  कई बार दर्द छाती के बजाय पेट के ऊपरी भाग से उठ सकता है। लेकिन नाभि के नीचे और गले के ऊपर का दर्द हार्ट अटैक के लक्षणों में नहीं आता है।

# हालाँकि अलग-अलग मरीजों में दर्द की तेजी एवं दर्द के दायरे अलग-अलग होते हैं। कई लोगों को इतना तेज दर्द होता है कि जैसे जान निकली जा रही हो।

# जबकि कुछ मरीजों, खास तौर पर मधुमेह एवं उच्च रक्तचाप के मरीजों और बुज़ुर्गों में कोई लक्षण या दर्द के बिना ही silent heart attack हो सकता है।

# कई लोगों को दर्द के साथ साँस फूलने, उलटी होने और पसीना छूटने जैसे लक्षण भी दिख सकते हैं। चक्कर आना, सांस फूलना, मन अशांत होना, बेचैनी, जोर-जोर से सांस लेना आदि भी हार्ट अटैक के लक्षण हो सकते हैं/

हार्ट अटैक या दिल का दौरा पड़ने पर क्या करें

# किसी मरीज में हार्ट अटैक के लक्षण दिखाई पड़ने पर जल्दी से नज़दीकी चिकित्सक या अस्पताल के पास  ले जाना चाहिए / स्वयं से उपचार करने  या सुनी सुनाई बातों को मान ने में कई बार देर हो जाती है जो मरीज़ों के लिए जानलेवा साबित हो सकती है।

# गंभीर स्थिति में जब मरीज बेहोश हो जाए और उसकी साँस न चले तो उसकी छाती की मालिश करनी चाहिए और उसके मुँह से अपने मुँह को सटाकर कृत्रिम सांस देना चाहिए। इसे चिकित्सकीय भाषा में ‘कार्डियो पल्मोनरी रिसस्सिटेशन’ कहा जाता है और यह मरीज की जान बचाने में अत्यंत सहायक होती है। इससे दिल की बंद हुई धड़कने शुरू हो सकती हैं।

# इसे करने के लिए मरीज को कमर के बल लिटायें, अपनी हथेलियों को मरीज के सीने के बीच रखें। हाथ को नीचे दबाएं ताकि सीना एक से लेकर आधा इंच चिपक जाए। प्रति मिनट सौ बार ऐसा करें और तब तक ऐसा करते रहे जब तक दूसरी तरह की सहायता नहीं मिल जाती है।

# मरीज अगर होशोहवास में हो तो जल्द ही एस्प्रीन की एक गोली मरीज को चबाकर खाने को दें। इससे मरीज को दर्द से राहत मिलती है तथा जान जाने की सम्भावना घटती है।

कोशिश होनी चाहिए की मरीज को सीधे हृदय रोग चिकित्सा की सुविधाओं से संपन्न अस्पताल ले जाएँ जिससे बिना समय गँवाये उनका बेहतर इलाज हो सके ।

हार्ट अटैक पड़ने पर क्या नहीं करना चाहिए ?

# मरीज को खडा करने या बिठाने की कोशिश न करें।
उसके मुँह में पानी या गंगाजल नहीं डालें। हमारे देश में अक्सर लोग यह गलती करते है खासकर बुजर्गो के साथ

# उसके आस-पास भीड़ न लगाएँ।

# उससे ऐसी बात न करें जिससे उसकी निराशा बढ़े।

मरीज के अस्पताल पहुँचने पर डॉक्टर की सबसे पहली कोशिश रुकी हुई रक्त धमनी को खोलने तथा दिल की मांसपेशियों में रक्त-प्रवाह बहाल करने (रीप्रफ्युशन) की होती है।रुकी हुई रक्त धमनी के खुल जाने से मरीज को दर्द से मुक्ति मिल जाती है और उसकी जान पर आया खतरा काफ़ी हद तक टल जाता है।

 

डॉ. विकास सिंह

एम.डी,डी.एम, एफ.ए.सी.सी

कंसल्टेंट, कार्डियोलॉजिस्ट

डायरेक्टर 4ए हार्ट हॉस्पिटल

पटना

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