एक आह्वान जगमगा उठा सारा हिंदुस्तान…
एक आह्वान जगमगा उठा सारा हिंदुस्तान… एक नहीं कई आशाओं के दीप सब ने मिलकर जलाया …इन आशाओं के दीप से रोशन होगा मानवता का सकारात्मकता।
इतिहास याद रखेगा इस दिन को जब पुरा संसार डगमगा रहा था तब मेरा हिंदुस्तान जगमगा रहा था।
एक दिया मेरी ओर से भी…
प्रिय साहित्यिक मित्रों,
इस वैश्विक संकट की घड़ी में भारत ही विश्व को मार्ग प्रदर्शित करेगा और उसका सांकेतिक प्रारंभन आज रात नौ बजे अंधकार से प्रकाश की ओर उक्ति को चरितार्थ करते हुए मेरे भारत में दिया जलाकर किया जा रहा है। आदरणीय प्रधानमंत्री श्री मोदी जी का धन्यवाद।
क्या मैं अपने साहित्यिक मित्रों से अनुरोध कर सकता हूँ एक दिया वो मेरी ओर से भी जला दें (आप जानते हैं कि मैं कनाडा में रहता हूँ लेकिन मेरा दिल भारत में रहता है। जब भारत में रात्रि के नौ बज रहे होंगे, कनाडा में दोपहर के ११.३० बज रहे होंगे।)
वैश्विक संकट की घड़ी में हम सब साथ-साथ।
प्रो सरन घई,
कनाडा
जगमग जला दीप जगमग जला था।।
बाती अजय स्निगध पावन शुभा थी
आशीष वरदान स्नेह भी भरा था।।
खुली पांखुरी पांखुरी आस्थायें।
भारत सरोवर में शतदल खिला था।।
मिला सत्य संकल्प पार्थी ऋचा को
शिवं सुन्दरं शारदा ने रचा था।।
अतुल आत्मविश्वास का रूप अनुपम
हृदय मन्दिरों में सभी के सजा था।।
हर द्वार पर और वातायनों पर
हम साथ है भाव सबका रहा था।।
ज्योतिर्कलश छलकते रहे सब
आलोक पथ पर समय रथ चला था।।
डॉ रागिनी भूषण
जमशेदपुर, झारखंड
अप्प दीपो भव
अंधकार से घिरा हुआ आदमी दिशाहीन होकर चाहे जितनी गति करे, सार्थक नहीं हुआ करती। आचरण से पहले ज्ञान को, चरित्र पालन से पूर्व सभ्यकत्व को आवश्यक माना गया है। ज्ञान जीवन में प्रकाश करने वाला होता है। अंधकार हमारे अज्ञान का, दुराचरण का, दुष्ट प्रव्रीतियों का, आलस्य और प्रमाद का, बैर और विनाश का, क्रोध और कुंठा का, राग और द्वेष का, हिंसा और कदाग्रह का अर्थात अंधकार हमारी राक्षसी मनोवति का प्रतीक है।
जब मनुष्य के भीतर असद् प्रवृत्ति का जन्म होता है, तब चारों ओर वातावरण में कालिमा व्याप्त हो जाती है। अंधकार ही अंधकार नजर आने लगता है। मनुष्यता हाहाकार करने लगती है। मानवता चीत्कार उठती है। अंधकार में भटके मानव का क्रंदन सुनकर करुणा की देवी का हृदय पिघल जाता है। ऐसे समय में मनुष्य को सन्मार्ग दिखा सके, ऐसा प्रकाश स्तंभ चाहिए। इन स्थितियों में हर मानव का यही स्वर होता है कि – ‘ प्रभु, हमें अंधकार से प्रकाश की ओर ले चलो। बुराइयों से अच्छाइयों की ओर ले चलो। मृत्यु से अमरता की ओर ले चलो . . . . ‘ इस प्रकार हम प्रकाश के प्रति, सदाचार के प्रति, अमरत्व के प्रति अपनी निष्ठा व्यक्त करते हए आदर्श जीवन जीने का संकल्प करते हैं। दीपक शिक्षा को प्रदर्शित करता है, अँधेरे में प्रकाश को प्रदर्शित करता है। ईश्वर चैतन्य हैं जो कि सभी चेतना के गुरु हैं, इस लिए दीप की पूजा ईश्वर के समान ही की जाती है।
जिस प्रकार से शिक्षा उदासीनता को हटाती है वैसे ही दीपक अँधेरे को हटाता है। शिक्षा अन्दरूनी शक्ति है जिससे बाह्य दुनिया की सभी उपलब्धियों को पाया जा सकता है। यही कारण है कि हम दीपक का प्रज्वलन करते हैं और इसके सामने झुकते हैं जो कि शिक्षा का सबसे उच्चतम स्तर है।
बल्ब और ट्यूब लाइट भी प्रकाश फैलाते हैं पर सांस्कृतिक तेल का दीप धार्मिक मान्यताएं भी अपने में समाहित किये हुए है। तेल या घी का दीपक नकारात्मक सोच या वासना व घमंड को प्रदर्शित करता है जैसे-जैसे ये जलता है वैसे-वैसे हमारी वासना, घमंड आदि धीरे-धीरे ख़त्म हो जाती है। दीपक की लौ हमेशा ऊपर की तरफ जलती है, जैसे हमारी शिक्षा हमको ऊपर की तरफ ले जाती है।
डॉ नीरज कृष्ण
पटना, बिहार
संकल्प-दीप
दीप जलेंगे जब चहुं ओर
निशा में भी हो जाएगी भोर,
उज्जवल होंगे सबके मन
रोग – शोक का फिर होगा तर्पण!!
संकल्प एक जब होगा सबका
पंख पखेरू होगा तम का,
उजियारा फैलेगा सुख का
अस्तित्व मिटेगा फिर हर दुख का!!
शुद्ध मन से जब दिए जलेंगे
झुलस जाएंगे क्लेश और कलमस,
लड़ियों में जब दीप जलेंगे
भाग उठेगा जीवन का अमावस!!
मिलकर सब नवदीप जलाओ
मन में श्रद्धा भाव जगाओ,
एकता और प्रेम का परचम
दिग – दिगंत में लहराओ !!
अर्चना रॉय
रायगढ़
अंधकार से उजाले की ओर
आज रात 9 बजे 9 मिनट के लिए घर के सारे लाइट बुझाकर अपने बालकनी , बरामदे में निकलकर दिया , मोमबत्ती , टॉर्च या मोबाइल की फ़्लैश लाइट जलाकर रौशनी करने के लिए माननीय प्रधानमंत्री जी ने पूरी जनता से अनुरोध किया है । अंधकार से उजाले की ओर जाने का … नकारात्मकता से सकारात्मकता की ओर जाने का यह एक आह्वाहन है । घोर निराशा , एकरसता और मानसिक असंतुलन से बाहर निकलने का यह एक प्रयास है । हम सभी को इस प्रकाश पुंज की महत्व को समझते हुए आपसी सामाजिक एवं राजनीतिक द्वेषों से बाहर निकलकर पूरे विश्व को अपनी एकता दिखानी होगी ।
इस 9 मिनट के प्रयास और प्रेम की ज्योत प्रज्जवलित करने की गहराई को समझने की जरूरत है । हम मिट्टी का दिया लाते हैं और ज्योति जागृत करते हैं । यह प्रतीक है कि हम इस मिट्टी के दीये में जीवन की अमृत ज्योति संभाली जा सकती है । मिट्टी पृथ्वी का हिस्सा है , ज्योति आकाश का । इसलिए ज्योति हमेशा उर्ध्वगामी है , जिसे हमें पूर्ण मनोयोग से संभालने की जरूरत है । भले ही यह ज्योत दीया , मोमबत्ती या ढिबरी की हो ।
ज्योति के साथ हम भ्रष्टाचार , अन्याय , शोषण और विध्वंस से लड़ने की ताकत पाते हैं और बढ़ते हैं अंधकार से प्रकाश की ओर ।
अतः हमें अंतर्मन के अंधेरों को भगाकर एक प्रकाश पुंज के साथ कल्याणकारी कार्यों के शरण में जाना होगा । हमारी निर्भयता , सहृदयता एवं उदारता का प्रतीक यह दीपक और उसकी निर्मल ज्योति हमें मदद करेगी देश को उज्ज्वल भविष्य के पथ पर अग्रसर होने के लिए । अग्नि अत्यंत पावन है और जब अग्नि अपना अंदर सम्पूर्ण शक्ति निहित कर एक छोटे से मिट्टी के दीये में समाती है तो इसकी शक्ति दुगुनी हो जाती है और हमारी अज्ञानता और सुप्त ज्ञानेन्द्रियों को जागृत करने का सामर्थ्य रखती है । बस जरूरत है तन और मन को शुद्ध कर ज्ञान के चक्षु खोल कर हमारे घर , समाज एवं देश की कल्याणकारी भावना के साथ दीपक जलाने की एकता की रौशनी फैलाने की ।
वर्तमान में व्याप्त अंधेरों से निकल कर उजाले की ओर बढ़ने के लिए हमारे निर्भय अंतर्मन की रौशनी का सहारा लेना होगा । इस भयभीत माहौल में चलिए हम कुछ संकल्प लेते हैं जिससे हम कोरोना महामारी से लड़ने वाले सारे योद्धाओं – डॉक्टरों , नर्सों , सामाजिक कार्यकर्ताओं , पुलिस और मीडिया के कर्मचारियों की आराधना , अपने जान की परवाह न करते हुए दूसरे की जान बचाने की कोशिशें विफल न जाने दे । नमन करें ऐसे योद्धाओं को इस महामारी में अपने घर , परिवार से बाहर लड़ रहे हैं ताकि हम सभी अपने घरों में सुरक्षित रहें ।
सारिका भूषण
राँची , झारखंड
एक दीया देश के नाम कर
बस एक छोटा सा काम कर
एक दीया देश के नाम कर
कोई किंतु परन्तु मगर न कर
तू एक दूजे का हाथ पकड़
माँ भारती को सादर अर्पण
दीपों से सजती शाम कर
एक दीया देश के नाम कर ……….
हो दूर अँधेरा घर-घर से
भागेगी निराशा इस डर से
हो पावन अब हर जन का मन
कुछ ऐसा अद्भुत काम कर
एक दीया देश के नाम कर……..
डॉ कल्याणी कबीर
झारखंड
आईए दीपक जलायें
आईए दीपक जलायें जीवन रक्षा विश्वास का
समर्पित प्रथम जो चले गये उनके आशीष का
दुसरा समर्पित जुझते जो उनके स्वाँस के लिए
अंधेरा दूर हो आत्मशक्ति मिले एकता आभाष का
डॉ आशा गुप्ता
जमशेदपुर, झारखंड
ये आह्वान
देशवासियों से किया है, मोदी जी ने ये आह्वान
हर घर दीप प्रज्जवलित हो ,ताकि एकता का हो भान
है दीपक यह आस का जो , जीत लेकर ही आयेगा
जीतनी है बाजी हमको, तब देश सबल कहलाएगा
दृढ़ संकल्प करबद्ध हो कर, जनहित में हमें करना है
महामारी के प्रकोप से ,हमको नहीं बस डरना है
प्राजंलि अवस्थी
दिल्ली
दीप जले
जले दीप हर कर घर घर
देश के नाम जीवन के नाम
नौ बजे बस नौ मिनट
देश के नाम जीवन के नाम
दीप मोमबत्ती मोबाईल लाईट
देश के नाम जीवन के नाम
रौशनी बढ़ेगी हौसला बढ़ेगा
देश के नाम जीवन के नाम
जले अखंड सद्भाव दीप यह
देश के नाम जीवन के नाम
डॉ उमा सिंह किसलय
गुजरात
दीपक
अपने अपने दरवाजे पर,
दीपक एक जलाना है।
मन में छाते अंधियारे को,
थोड़ा-सा दूर भगाना है।
नैराश्य में डूबते-उतराते,
साहस को हमें उठाना है।
विकट बड़ा ये कालखंड,
इसपर जीत ही पाना है।
बड़े बड़े संकट से उबरे,
इससे भी पार ही पाना है।
अपने अपने दरवाजे पर,
दीपक एक जलाना है।
डॉ सरला सिंह स्निग्धा
दिल्ली
इतिहास याद रखेगा इस दिन को जब पुरा संसार डगमगा रहा था तब मेरा हिंदुस्तान जगमगा रहा था।