होली के रंग

होली के रंग

चहुँ ओर फैला उल्लास
फाल्गुन का ये सुंदर मधुमास
होली आयी होली आयी
ढोलक-मृदंग सब रस लाई
खिले पलाश हैं लाल
कोयलिया की कुहू कुहू गान
अधरों ने छेड़ी जो तान…
मौसम हुआ गुलनार
सुखद लगे है बयार
रास विलास को लाये होली
घन बरसत रंग फुहार
उन्मुक्त प्रेम भरे दिलों में
छलके प्यार रसधार
हलचल खूब मचाये होली
हँसता घर सारा संसार
मदमस्त सरस है आलम
सजनी संग खेले होली बालम
साजन करत मनुहार
नैना भौहें हुयीं तीर कमान
चुनरी उड़ी हुयी ठिठोली
सजनी हँसी साजन मै तोरी
रंग में डूबे घर औ आँगन
ठुमकी लगे नाचे मनभावन
राधाकृष्णा की मोहनी होली
जागी सबके मन में होली
लहलहाती उमंग है होली
हर्षत मन जन जन का
द्वेष जाति धर्म बिसार के
सबने गले लगाया होली
है ये हमसब की होली…..!

डॉ आशा गुप्ता “श्रेया”
साहित्यकार
जमशेदपुर, झारखंड

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