सुनो, कुछ तो करो

सुनो, कुछ तो करो

सुनो…
कुछ तो करो…!
कि इससे पहले सब श्मशानों में
तब्दील हो जाए…!
कुछ तो करो….
कि इससे पहले घर…
मकानों और खंडहरों में तब्दील हो जाए…!
कुछ तो करो…
इससे पहले कि दवाएँ जहरों में तब्दील हो जाएं…!
कुछ तो करो….
इससे पहले कि भोजन खुद भूख में….
और भूख बेबस आंखों के आंसू बनकर
न सूख पाएं…. न बह पाएं….!
सुनो…
सुनो.. इससे पहले कि अपने अपनों से बिछुड़ जाएं…!
इससे पहले कि आंतें हमेशा के लिए सिकुड़ जाएं..!
बेजुबान बोल उठे.. जुबान वाले मौन हो जाएं..!
रोने और हंसने का फर्क ही खत्म हो जाए..!
जागने सोने का अर्थ न कोई समझने पाए…?
उत्सव मनाने सब फरिश्ते बन
किसी और ही जहां में मिलने का करें वादा…!
पर दोस्तों, ऐसे भी बेमौत मरने की क्या थी जल्दी…
अभी कहां था इरादा…?
कुछ तो करो….
इससे पहले कि अथाह समंदर तन्हा तन्हा हो जाए…!
इससे पहले कि नदियां..
उससे मिलने को उतावली ही न रह जाएं…!
इससे पहले कि बादल गरजने बरसने से डर जाएं…!
आसमान खून से हो लथपथ…
इंद्रधनुष सिर्फ लहु का ही रंग चीख चीख जतलाएं…
बिजलियां विचारों में भी कौंधने से डर जाएं..
सोचो विचार कौंधने जैसा दिमाग भला वो
फिर कहो कहां से पाएं…!
कहो बंधु, जब मानव ही न बच पाए
आखिर मानवता जाए तो कहाँ जाए…!
अहो, जब बंधु भाई, ही हो जाए भगवान को प्यारा…
भाईचारा किन हाथों की डोर संग बंध जश्न मनाए…?
जिस दिन… पुकारने पर कोई नहीं सुनेगा…
नहीं कोई करनी पर पछताएगा…!
जब खून और सांसे
दिल आंखे और धड़कन…
उधार देने पर भी नहीं चलेंगी…!
भला कहो फिर कौन
किसके शव पर रोने आएगा…!
फिर मानव किस किस बात पर रो लेगा
और भला किस बात पर मुस्कुराएगा…?
जब उड़ते परिंदे आसमान से उतरना जाएंगे भूल…!
जब सारा मान अभिमान धरा में समाकर
हो जाएगा धूल…!
यादें अनाचार व्याभिचारों की
डराएंगी बनकर शूल…!
अबोध अबोले जानवर…
किसी और ही जहां की सैर पर निकल जाएंगे…!
पेड़ पौधे अस्थि पंजरो से बने पत्थरों
पर जड़ न जमा पाएंगे…!
सोचों,,, भटकती रूहें…
क्या करेंगी… दीया बाती सांध्य प्रहर..?
लेंगी ईश्वर का नाम…?
करके कल्पना क्या रूह कांप न जाता…
आह थर्राती जुबान…!
जब सांय सांय की मौत के जीत की प्रतिध्वनि….
गूंजेगी समस्त ब्रह्मांड के अणु अणु में..!
साक्षी होगा अनिल अंबर अवनि…
क्या देश समाज शहर क्या ग्राम…!
ओह… कैसी होगी वो शाम..!
हे शिव रक्षा करो. ..रक्षा करो….
त्राहिमाम.. त्राहिमाम… त्राहिमाम त्राहिमाम..!

बालिका सेनगुप्ता
साहित्यकार
लखनऊ, उत्तर प्रदेश

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