वर्ल्ड हेल्थ डे
सात अप्रैल यानी विश्वभर के लोगों के स्वास्थ्य को समर्पित साल का महत्वपूर्ण दिवस। आज ही के दिन साल 1948 में विश्व स्वास्थ्य संगठन की स्थापना हुई थी।
केवल शारीरिक रूप से ही नहीं बल्कि मानसिक रूप से भी स्वस्थ होना एक व्यक्ति के लिए आवश्यक है।लेकिन आज परिस्थिति यह है कि अधिकतर लोग डिप्रेशन के शिकार हो जाते हैं और उन्हें पता भी नहीं चलता जिसके कारण वह इसका उपचार भी नहीं करवातें ।एक समय के बाद यह और भी कई बीमारियों के कारण बन जाते हैं। इस लिए स्वयं ही पहचानें डिप्रेशन के लक्षण को
डिप्रेशन के लक्षण
आइए हमारे व्यवहार में आनेवाले उन बदलावों पर नज़र डालते हैं, जो बताते हैं कि हम डिप्रेशन यानी अवसाद का शिकार बनते जा रहे हैं. डिप्रेशन से उबरने के लिए इसके लक्षणों और संकेतों को समझना बहुत ज़रूरी है. क्योंकि हम इस बारे में तभी मदद मांग सकते हैं, यदि हमें सही समय पर पता चल सकेगा कि हमारी ज़िंदगी में सबकुछ सही नहीं चल रहा है. ये हैं डिप्रेशन के कुछ लक्षण:
* ठीक से नींद न आना
* कम भूख लगना
* अपराध बोध होना
* हर समय उदास रहना
* आत्मविश्वास में कमी
* थकान महसूस होना और सुस्ती
* उत्तेजना या शारीरिक व्यग्रता
* मादक पदार्थों का सेवन करना
* एकाग्रता में कमी
* ख़ुदकुशी करने का ख़्याल
* किसी काम में दिलचस्पी न लेना
डिप्रेशन से बचने के उपाय
यदि आपको डिप्रेशन से बचना है तो इस बारे में खुलकर बात करें. रोज़मर्रा की ज़िंदगी में छोटे-छोटे बदलाव लाते हुए ख़ुद को व्यवस्थित कर लीजिए. ख़ुद को समय दें और अपने शरीर को भी. यह होगा कैसे, आइए जानते हैं.
1. बात करें, मदद मांगें
अवसाद से गुज़र रहे लोगों के लिए इससे उबरने के लिए नियमित तौर पर ऐसे व्यक्ति से बात करना जिनपर वे भरोसा करते हों या अपने प्रियजनों के संपर्क में रहना रामबाण साबित हो सकता है. आप खुलकर अपनी समस्याएं उनसे शेयर करें और परिस्थितियों से लड़ने के लिए उनकी मदद मांगें. इसमें शर्म जैसी कोई बात नहीं है. हमारे सबसे क़रीबी लोग यदि हमें बुरे समय से बाहर नहीं निकालेंगे तो कौन मदद करेगा?
2. सेहतमंद खाएं और रोज़ाना व्यायाम करें
सेहतमंद और संतुलित खानपान से मन ख़ुश रहता है. वहीं कई वैज्ञानिक शोध प्रमाणित करते हैं कि व्यायाम अवसाद को दूर करने का सबसे अच्छा तरीक़ा है. जब हम व्यायाम करते हैं तब सेरोटोनिन और टेस्टोस्टेरोन जैसे हार्मोन्स रिलीज़ होते हैं, जो दिमाग़ को स्थिर करते हैं. डिप्रेशन को बढ़ाने वाले विचार आने कम होते हैं. व्यायाम से हम न केवल सेहतमंद बनते हैं, बल्कि शरीर में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है.
3. अपने अंदर के लेखक को दोबारा जगाएं
कहते हैं मनोभावों को यदि आप किसी से व्यक्त नहीं कर सकते तो पेन और पेपर लेकर उन्हें लिख डालें. लिखने से अच्छा स्ट्रेस बस्टर शायद ही कुछ और हो. इसके अलावा अपनी लिखने से आत्मनिरीक्षण और विश्लेषण करने में मदद मिलती है. डायरी लिखने से लोग चमत्कारी ढंग से डिप्रेशन से बाहर आते हैं. इन दिनों ब्लॉग्स का भी ऑप्शन है. आप फ़ेसबुक पर भी अपने विचार साझा कर सकते हैं.
4. दोस्तों से जुड़ें और नकारात्मक लोगों से दूरी बनाएं
अच्छे दोस्त आपके मूड को अच्छा बनाए रखते हैं. उनसे आपको आवश्यक सहानुभूति भी मिलती है. वे आपकी बातों को ध्यान से सुनते हैं. डिप्रेशन के दौर में यदि कोई हमारे मनोभावों को समझे या धैर्य से सुन भी ले तो हमें अच्छा लगता है. दोस्तों से जुड़ने के साथ-साथ आप उन लोगों से ख़ुद को दूर कर लें, जो नकारात्मकता से भरे होते हैं. ऐसे लोग हमेशा दूसरों का मनोबल गिराने का काम करते हैं.
5. नौकरी की करें समीक्षा
इन दिनों कार्यस्थलों पर कर्मचारियों को ख़ुश रखने की बड़ी-बड़ी बातें की जाती हैं, पर कई जगहों पर वास्तविकता इससे अलग होती है. यदि आप भी कार्यस्थल पर स्ट्रेस्ड महसूस करते हैं तो अपनी नौकरी की समीक्षा करें. हो सकता है कि नौकरी ही आपकी चिंता की वजह हो, जो आगे चलकर अवसाद का कारण बन जाए. ऐसी नौकरी को छोड़ दें, ताकि सुकून से जी सकें. वह नौकरी ही क्या जो आपको संतुष्टि और ख़ुशी न दे रही हो? आप अपने पसंद के क्षेत्र में नौकरी के विकल्प तलाश सकते हैं.
6. नियमित रूप से छुट्टियां लें
एक ही ऑफ़िस, शहर और दिनचर्या भी कई बार बोरियत पैदा करने वाले कारक होते हैं, जो आगे नकारात्मक विचार और फिर डिप्रेशन पैदा करते हैं. माहौल बदलते रहने से नकारात्मक विचारों को दूर रखने में मदद मिलती है. यदि लंबी छुट्टी न मिल रही हो तो सप्ताहांत पर ही कहीं निकल लें. रिसर्च कहते हैं कि नियमित रूप से छुट्टी पर जाने वाले लोग, लगातार कई सप्ताह तक काम में लगे रहने लोगों की तुलना में बहुत कम अवसादग्रस्त होते हैं.
7. नींद भर सोएं
एक अच्छी और पूरी रात की नींद हमें सकारात्मक ऊर्जा से भर देती है. अध्ययनों से पता चला है कि रोज़ाना 7 से 8 घंटे सोने वाले लोगों में अवसाद के लक्षण कम देखे जाते हैं इसलिए व्यस्तता के बावजूद अपनी नींद से समझौता न करें.
8. हल्का-फुल्का म्यूज़िक सुनें
जब लोग अवसादग्रस्त होते हैं तो अच्छा संगीत सुनकर उन्हें अच्छा लगता है. यह तथ्य कई वैज्ञानिक शोधों द्वारा प्रमाणित हो चुका है. तो जब भी मानसिक रूप से परेशान हों तो अपना पसंदीदा गाना सुनें. संगीत में मूड बदलने, मन को अवसाद से निकालने की अद्भुत ताक़त होती है. वैसे आप एक चीज़ का ख़्याल रखें, ज़रूरत से ज़्यादा ग़म में डूबे हुए गाने न सुनें, क्योंकि ऐसा करने से आपका डिप्रेशन अगले लेवल पर पहुंच जाएगा.
9. पुरानी बातों के बारे में न सोचें
अपनी पुरानी भूलों और ग़लतियों का शिकवा करना आपको पूरी तरह से अवसाद के चंगुल में फंसा सकता है. एक तो पुरानी बातें आपके नियंत्रण में नहीं होतीं. फिर उस बारे में सोच-सोचकर क्या फ़ायदा? आप बेवजह अपने दिलोदिमाग़ पर गिल्ट का बोझ बढ़ाते हैं. पुरानी बातों के बारे में सोचने के बजाय आज पर फ़ोकस करें.
10. ख़ुद को लोगों से दूर न करें
जब आप अवसादग्रस्त होते हैं तब ख़ुद को दुनिया से दूर कर लेना सबसे आसान और ज़रूरी समाधान लगने लगता है. क्योंकि आपको लगता है कि आपकी समस्या को कोई दूसरा नहीं समझ सकता. लेकिन ख़ुद को लोगों से काटकर आप अवसाद को फलने-फूलने का मौक़ा उपलब्ध कराते हैं. यदि आप अपने दोस्तों और क़रीबियों से अपनी समस्या साझा नहीं कर सकते तो किसी मनोचिकित्सक से सलाह लें. इससे अवसाद की जड़ तक जाने और इसे दूर करने में मदद मिलेगी.
डॉ निधि श्रीवास्तव
मनोवैज्ञानिक एवं प्रधानाध्यापिका
विवेकानंद इंटरनेशनल स्कूल
जमशेदपुर, झारखंड
वर्ल्ड हेल्थ डे 2020: कोरोना मरीजों की सेवा में लगी नर्सों और मिडवाइव्स को समर्पित
आज विश्व की बड़ी आबादी कोरोना वायरस की वजह से फैली महामारी का प्रकोप झेल रही है। विश्वभर में इससे 13 लाख से ज्यादा लोग संक्रमित हैं, जबकि 73 हजार से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है। वहीं भारत में देखा जाए तो इससे संक्रमित होने वालों और मरनेवालों की संख्या हर दिन बढ़ रही है। थोड़ी सुकून वाली बात ये है कि इस वायरस से संक्रमित 2.77 लाख से ज्यादा लोग ठीक हो चुके हैं। इस कोरोना संकट के बीच विश्व स्वास्थ्य दिवस का महत्व और भी बढ़ जाता है।
विश्वभर के स्वास्थ्यकर्मी कोरोना वायरस से संक्रमित लोगों की सेवा में लगे हैं। कोरोना संक्रमित लोगों की जान बचाने में डॉक्टर और स्वास्थ्यकर्मी दिन और रात एक किए हुए हैं। इन स्वास्थ्यकर्मियों के सम्मान में ही देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अपील पर पूरे देश ने ताली, थाली, शंख और घंटी बजाकर इनके जज्बे को सलाम किया था। हर साल सात अप्रैल को विश्व स्वास्थ्य दिवस मनाया जाता है। यह दिन भी हमारे लिए स्वास्थ्यकर्मियों का हृदय से सम्मान करने वाला है।
विश्व स्वास्थ्य दिवस की शुरुआत साल 1950 में विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा की गई थी। मालूम हो कि विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुख्यालय जेनेवा में साल 1948 में पहली बार विश्व स्वास्थ्य सभा का आयोजन किया गया था और फिर साल 1950 में पूरे विश्व में डब्लूएचओ के स्थापना दिवस यानी 7 अप्रैल को विश्व स्वास्थ्य दिवस।
दरअसल, डब्ल्यूएचओ विश्व स्वास्थ्य रिपोर्ट के लिए जिम्मेदार होता है, जिसमें विश्वभर के सभी देशों से जुड़ी स्वास्थ्य संबंधी परेशानियों का एक सर्वे होता है। हर साल विश्व स्वास्थ्य दिवस के लिए एक थीम निर्धारित की जाती है, जो कि आंकड़ों के अनुसार वर्ष विशेष में स्वास्थ्य को प्रभावित करने वाले विषय के आधार पर तय की जाती है। पिछले साल स्वास्थ्य दिवस की थीम थी यूनिवर्सल हेल्थ कवरेज: एवरीवन, एवरीव्हेयर यानि की सभी वर्ग के लोगों को बिना किसी वित्तीय कठिनाई के बेहतर स्वास्थ्य सेवा मिले।
इस साल स्वास्थ्य दिवस का थीम है नर्सों और मिडवाइव्स यानी दाइयों का योगदान। इस बार की थीम महत्वपूर्ण है, क्योंकि इस बार डब्लूएचओ ने कोविड 19 यानी कोरोना महामारी के खिलाफ इस जंग में दुनियाभर के संक्रमित लोगों को स्वस्थ करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाली नर्सों और मिडवाइव्स के योगदान को सम्मान देने की कोशिश की है। इसी वजह से डब्लूएचओ ने सपोर्टनर्सेजएंडमिडवाइव्स थीम रखी है।
विश्व स्वास्थ्य दिवस स्वास्थ्यकर्मी विशेष तौर पर मनाते हैं। स्वास्थ्य अधिकारी इस बात पर विशेष चर्चा करते हैं कि उनके क्षेत्राधिकार में स्वास्थ्य सुविधाएं कैसे बेहतर की जा सके। स्वास्थ्य संगठनों समेत सरकारी और गैर-सरकारी संस्थाओं की ओर से निशुल्क स्वास्थ्य जांच का आयोजन किया जाता है। कई जगहों पर स्पेशल हेल्थ कैंप लगाए जाते हैं और जागरूकता के लिए कई तरह के कार्यक्रम आयोजित होते हैं। इस बार लॉकडाउन की वजह से आयोजन हो न हो, लेकिन हम स्वास्थ्यकर्मियों का हृदय से तो सम्मान कर ही सकते हैं।
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