मानव सभ्यता का अदृश्य दुश्मन कोविड 19
कोरोना पर चिंतन करने से पहले हम अपनी पुरानी सभ्यता संस्कृति पर एक नजर डाल लें । पृथ्वी , काल और समय के अनुरूप सामाजिक, सांस्कृतिक, धार्मिक और भौगोलिक मांग के अनुसार अपना संतुलन बनातीं रही हैं । त्रेतायुग में एक युद्ध ,द्वापरयुग में एक युद्ध फिर अभी पिछले सौ साल में प्रथम विश्व युद्ध और द्वितीय विश्व युद्ध और संभावित तृतीय विश्व युद्ध की संज्ञा कोरोना संक्रमण काल को कहा जाएगा ।
समाचार (एजेंसी ) चैनलों के माध्यम से और समाचार पत्रों के माध्यम से जो कुछ समझा और पढ़ा जा रहा है उसके प्रमाणिक कारण अब तक उपलब्ध हैं भी और नहीं भी ,क्योंकि जो प्रमाणिक है उसे विपक्ष झूठला रहा है और जो कोरोना को फैलाने में सहायक है उसे मासूम बताया जा रहा है । साथ ही संप्रादायिकता के नाम पर लाभ उठाना चाहता है। कोरोना बीमारी के तरफ से ध्यान भटकाने की साजिशें हो रहीं हैं । अब आते हैं अदृश्य दुश्मन की तरफ । तो मैं कोरोना को दुश्मन नहीं मानती हूँ । यह तो चीन के दृष्टिकोण से अदृश्य दुश्मन है जिसे भेजकर उसने पूरी दुनिया को किसी खास धर्म और चिंतन के प्रति जागरूक भी किया है । बिना जाने विरोध ,पत्थर बाजी फिर चैनलों पर इसका समर्थन । कोरोना अदृश्य दुश्मन सभी का है यह तीसरे सप्ताह के अंत तक उन्हें भी समझ आ रहा है । इस तरह की महामारी की स्थिति में भी सबके अपने अपने फायदे नुकसान के साथ राजनीति और विचारधारा की भी लडाई जोरों पर है।जनता जनार्दन के लिए तो सिर्फ प्रधानमंत्री जी ही सोच रहे हैं और उन्हें विश्व में समर्थन भी मिल रहा है ,क्योंकि उनकी नियत साफ है ,तो नियती भी साथ दे रही है । फिर अदृश्य दुश्मन भी नियंत्रण में आएगा ही ।
यह अदृश्य दुश्मन कोविड 19 विधाता के द्वारा पर्यावरण के लिए न्याय है । प्रकृति के साथ खिलवाड़ का दंड है ।मानव ने खुद अपने और अपनों जैसे मानवता प्रेमी के भावनाओं के साथ खिलवाड़ किया है । सुपरपावर बनने के लालच में किया है ।यह जब भी जाएगा एकजुटता से जाएगा और जाते जाते बहुत कुछ समझा भी जाएगा । बहुतों की आँखें खुल रहीं हैं और आगे भी खुलेंगी ।
एक समान आचार संहिता पूरे देश में अपनाई नहीं जा रही हैं।मेरे हिसाब से वैसे राज्य जो जमातियों के समर्थन में हैं उन राज्यों में राष्ट्रपति शासन लागू कर दिया जाए फिर एक कानून के तहत न्याय प्रक्रिया सख्ती से पालन किया जाए। हमारा प्रेम वसुधैव कुटुंबकम् की भावना इनके समझ में नहीं आता है । जीओ और जीने दो । वे भूल गए हैं । एक ही समस्या के समाधान के लिए इनके पास अलग अलग परिभाषा है । तुम किये तो पूण्य हम किये तो पाप । कारण धर्म अलग है । चिंतन अलग है ।
यह अदृश्य दुश्मन कोरोना 19 बहुत कुछ साफ साफ दिखाने समझाने आया है । देखिए आकाश का रंग आसमानी नीला फिर से दिखने लगा । नदियाँ साफ जल के साथ कल-कल बहने लगी ।पशु पक्षियों का कलरव साफ सुनाई देने लगा । तभी तो उसके आगमन पर हम भारत वासियों ने थाली ,ताली ,घंटी ,शंखनाद से उसका स्वागत किया । जिसको विरोधियों ने खूब मजाक भी उड़ाया । फिर हमने सात दीप जलाएँ अपने अपने घर में । प्रधानमंत्री के आवाह्न पर पूरा देश क्या पूरे विश्व में बसे भारतीयों ने एक दीप क्या दीपों की कतार और शंखनाद से समर्थन दिया है । कोरोना अपना दोनों दायित्व निभा रहा है । जाकी रही भावना जैसी प्रभू मूरत देखी तिन तैसी। अब मैं पाठकों पर छोड़तीं हूँ यह कोविड 19 अदृश्य दुश्मन है या दुश्मन के रुप में दोस्त है । इति शुभ ।
प्रतिभा प्रसाद कुमकुम
वरिष्ठ साहित्यकार
जमशेदपुर, झारखंड
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