माँ

      ” माँ “

नभ से विशाल आँचल है माँ,
ममता तुम ही कहलायी।
स्पर्श मिला जब भी तेरा तो,
स्नेह सिक्त  मैं  हो आयी।

चरण वंदन करूँ मैं माँ,
तूने ही सृष्टि रचायी।
पूजनीय हम सबकी ही तुम,
संतति में प्राण बसायी।
दुलारा किया हरदम तुमने,
सही राह भी दिखलायी।
नभ से विशाल…………..।

भाँप लेती हर दु:ख को तुम,
पढ़  लेती  हो  चेहरे को।
दूर सभी को कर देती तुम,
जो  भी दुख हो गहरे को।
जब  गिरता  नैनों से आँसू,
तब  घबरायी  सी आयी।
नभ से विशाल…………..।

तुम ही  मेरी अटल शक्ति हो,
तुमसे  आधार  मिला है।
मन का आँगन तुमसे खिलता,
तुमसे घर द्वार खिला है।
स्वर्ग की ही अनुभूति  मिली,
मैं जब जब अंक समायी।
नभ से विशाल ……………..।

नभ से विशाल आँचल है माँ,
ममता तुम ही कहलायी।
स्पर्श मिला जब भी तेरा तो,
स्नेह सिक्त  मैं  हो आयी।

सुनीता अभय
वाराणसी

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