माँ

(माँ…)

नौ महीने माँ के गर्भ में
एक ख्वाब पनपता है
मन्द मन्द
पल दिन और महीने
माँ का
सुखद वज़ूद साकार होता है.
🌱

गुजरना वो नौ महीने का
आह !!
वो पहला !!!
…अहसास सकुं भरा..

दुसरा उलझनों का सहना..

अपने होने का अहसास दिलाना..

हर चेहरे पर नई खुशी भर जाना.

गर्भ में महसुस कर उसे
संग उसके रोना हसंना,खिलखिलाना..

जन्म से पहले उस संग घन्टों बतियाना..
रिश्तों से पहले रिश्ते समझाना.

वो पीडा़ वो दर्द
वो आसुऔं में बहता आन्नदं

वो लम्हा थम जाता है जन्म का
सृष्टि मौन…
हवायें चुप….
हजा़रों खुशियाँ आ जाती है कदमों में..

ना कोई दर्द याद
ना आसुँ…

जब गोद में वो आ जाता है
ममता के आँचल.में छिप जाता है

सभी दिशायें चुप…
हवायें मौन…

सृज़नकर्ता #
खुद नतमस्तक हो जाता है….

सोनम अक्स!!

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