आजादी के पहले का हिंदुस्तान चाहिए

आजादी के पहले का हिंदुस्तान चाहिए

हमें कश्मीर नहीं पूरा पाकिस्तान चाहिए,
आजादी से पहले का हिंदुस्तान चाहिए।

हम हैं अमन के रखवाले युद्ध छेड़ते नहीं
पर हम छेड़ने वालों को कभी छोड़ते नहीं
तुमने जो की मक्कारी उसे कैसे सहेंगे
पुलवामा का बदला अब हम लेकर रहेंगे

हमें अब और नहीं बेटों का बलिदान चाहिए,
आजादी से पहले का हिंदुस्तान चाहिए ।

माताओं को अब और यहाँ रोने नहीं देंगे
बहनों को माथे का सुहाग धोने नहीं देंगे
नफरत का जहर भारत में बोने नहीं देंगे
दुश्मन को अब हम चैन से सोने नहीं देंगे

हमें कश्मीर चाहिए ना बलुचिस्तान चाहिए,
आजादी से पहले का हिंदुस्तान चाहिए।

सरहद के वीर शहीदों को सौ बार नमन है
उनकी ही बदौलत हिंद का गुलजार चमन है
जांबाज जवानों ने आज फिर कसम है खाई
नक्शे से मिटा देंगे हम कर देंगे सफाई

हमें आतंकियों का शीघ्र कब्रिस्तान चाहिए,
आजादी से पहले का हिंदुस्तान चाहिए।

 

दिनेश्वर प्रसाद सिंह ‘दिनेश’

वरिष्ठ साहित्यकार और संपादक

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