बदलाव
सोनम अपने बेटे के साथ घर का कुछ जरुरी सामान लेने निकली ।
कार में बैठते ही बेटा बोला मम्मी आज इडली बनायेगें,कल पाव भाजी ,और परसों…तरसों का सामान भी गिनवाने लगा।
मैंने कहा ठीक है बेटा जो खाना हो एक ही बार लें लो आज ही सारा सामान, इस बंद के समय मैं रोज़ रोज़ बाहर नहीं आऊंगी और हां जो कल की फ्रूट क्रीम बची है पहले वो खत्म करनी होगी ।
मैं नहीं खा सकता उसमें आपने केला क्यूं डाला ।
अरे तो क्या अब के खा लो अगली बार नहीं डालूंगी ।
नहीं मम्मी फैक देना…मैं नहीं खाऊंगा ।
सोनम चिल्लाई फैक देना…मतलब …लोगों को खाने को नहीं मिल रहा और तुम लोगों के नखरे।
कुछ नहीं मम्मी खाना तो सब को मिल रहा है।
तभी उसकी नज़र एक लम्बी लाईन पर पड़ी
यह क्या है? बेटा हैरान हुआ ।
यह मजदूर औरतें हैं…जिनको काम नहीं है आजकल।
तो यहां लाईन में क्यूं इतनी धूप में ?इतनी लम्बी लाईन
आगे मंदिर है बेटा रोटी सब्ज़ी बंट रहे हैं शायद उसके लिये लाईन है ।
यह तो सभी औरतें है…इनके आदमियों ने इनको लाईन में लगा दिया और खुद घर में आराम से बैठें हैं ।
सोनम बस उन्हें देख रही थी तभी गाड़ी मुड़ी तो देखा दूसरे मोड़ पर उससे दो गुणी लम्बी लाईन पुरूषों की थी।
कड़कती दोपहरी ,अपने अपने गोले में अपना डिब्बा रख साईड में छांव तलाशते लोग ।
बेटा हैरान “मम्मी इस तरह तो दोपहर तक भी इनका नम्बर नहीं आयेगा और हो सकता है तब तक खाना ही खत्म हो जाये ।”
हां हो सकता है ।
उफ्फ मां !
यह लोग चार रोटी और थोड़ी सी सब्जी के लिये खडे़ रहेंगे धूप में तीन घंटे।
यह भूख है बेटा
तभी देखा एक छोटा सा बच्चा पानी की कुछ बोतलें बेच रहा पसीने से तर-बतर खुद अपने प्यासें होंठों पर जीभ फेरता हुआ ।
पानी ले लो भाई आपको प्यास लगी होगी
हां पर प्यास तो तुम्हें भी लगी है बेटा बोला
हां !भईया और भूख भी लगी है ।
तभी दुकान से भागता हुआ दूसरा लड़का आया
भाई रैगुलर की तीन डिब्बी ले आऊं अब ,400 की हो गई है ।
बेटे ने एक नज़र उस लम्बी कतार में लगे खाली कनस्तर को देखा ।एक नज़र अगोछें से पसीना पोछतें मजदूरों को
उस पानी बेचने वाले बच्चे के हाथ में सो का नोट देकर चारों बोतलें ले ली और 1500 रू मंदिर में दिये राशन के लिये और दुकानदार को बोला -जब तक यह बंद नहीं खुलता मैंने सिगरेट छोड़ दी और आकर गाड़ी में बैठते ही
मम्मी जाते ही फ्रुट क्रीम देना और थोड़ा थोड़ा पकाना जो भी पकाओ ।
मैं नम आंखों से मुस्कुरा दी दर्द भी था और खुशी भी।
सोनिया अक्स़
साहित्यकार
पानीपत, हरियाणा