तुम पास नही फिर भी पास हो

मेरी माँ,
माँ तुम पास नही फिर भी पास हो, माँ तुम हमेशा उस जहां में भी जा कर मेरे पास हो, तुम्हे क्या लिखूं माँ आपने हमे लिखा है। मैं कभी सोची ही नही थी एक दिन मैं आपसे कभी दूर जाउंगी मुझे याद है वो दिन जब मेरी शादी ठीक हुई थी और मैं आपसे लिपट कर रोइ कैसे दूर भेजोगी कभी भी आपसे एकदिन के लिये भी अलग नही हुई थी माँ आप अपने से चिपकाये घंटो रोइ थी और बोली सिर्फ दो दिन की ही तो बात है मैं तुम्हे बुला लुंगी तुम्हे पढ़ाई पूरा करना है।और वही की आप मेरी पढ़ाई पूरा करवाई और एक अच्छी बहु, भाभी, पत्नी का भी कर्तव्य सिखाई आपने कभी मेरी गलतियों को बढ़ावा नही दिया हमेशा प्यार से समझाई और जब भी किसी बात से टूटी आप हमेशा हमे हिम्मत दे आगे बढ़ाई, माँ मेरे करीब कोई था तो वो तुम सिर्फ तुम माँ एक अच्छी सहेली जो मेरी हर छोटी बड़ी बात को आप प्यार से सुनती थी और उतने ही प्यार से समझती भी थी, मेरे लाइफ में चाहे कितने ही परेशानी आये और टूट गई थी मैं आपके सिवा किसी को घर मे नही पता होता था और आप हर बार मुझे हिम्मत दे मुझे ओर निखारी आप मुझे आज भी याद है जब आशी ka जन्म हुआ(मेरी बेटी) उस दिन आप मेरे साथ हॉस्पिटल में थी और मुझे प्यार से सम्हालती रही जब कि Dr BP मेरा हाई होने के कारण पेपर पर साइन ये बोल करवा लिये की कुछ भी हो सकता है मैं आपकी बेटी को सायद बचा न सकू और आप सब बातें हमसे छुपा अपनी भींगी हुई आंखों को ये बोल कर कचरा चला गया है मेरी बेटी बहुत अच्छी है जल्द घर जायेगे हम, माँ आशी के जन्म बाद आप मेरे और करीब आ गई मुझे याद है मैं पढ़ाई करती आप उसे सम्हालती आज जो भी हूँ सिर्फ आपके कारण माँ, मेरे अंदर एक कोना 27/4/2016 की सुबह से खाली हो गई,इसके आगे क्या लिखूं आपको खुद में ढूढ़ती हूँ कार नदी किनारे, कभी तालाब पास बैठ आपको सोचती हूँ रो लेती हूँ फिर लगता है आप तो मुझमे हो माँ, मैं लिखू कैसे आपने मुझे लिखा है माँ

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