जीतेंगे हम शान से
सप्तबधी अवधान से
देह के व्यवधान से
कोरोना के जंग में
जीतेंगे हम शान से।।
वीथियों में जो मिले
खोल चेहरा जो चले
कहें घरों में अब रहें
नसीहतों की आन से।।
देखने में व्यस्त हों
वो ना भूख त्रस्त हो
परिवेश भी सतर्क हो
प्रतिवेशियों के ध्यान से।।
अधीरता को बांध लें
योग्यता को साध लें
विज्ञान का उत्थान हो
अतीत राशि ज्ञान से।।
संकल्प शस्त्र है अभी
एकान्त अस्त्र है अभी
हृदय का योग कर सकें
आज प्राण प्राण से।।
घूमते जो व्यर्थ हैं
कर रहे अनर्थ हैं
भेज दें त्वरित उन्हें
आरक्षियों की आन से।।
नहीं हैैं अब अबोध हम
विषाणु के अवरोध हम
सदायें सीख लें जरा
भारती प्रतिमान से।।
डॉ रागिनी भूषण
शिक्षाविद और वरिष्ठ साहित्यकार
जमशेदपुर, झारखंड