जाना है बहुत दूर
आज उम्र के इस पड़ाव पर आकर अपने बारे में कुछ सोचने की कोशिश करती हो तो मेरा बचपन सबसे पहले मुझे याद आता है । मेरा जन्म कलकत्ता में हुआ था। मेरे माता पिता शिक्षित और बहुत संस्कारवान थे । परिवार में कोई चीज की कमी नहीं थी और हमें माता पिता ने संतोष करना सिखाया था हम जो था उसी में खुश रहते थे ।हमारे पिताजी हमारी शिक्षा पर ज्यादा ध्यान देते थे और हमें अपना कीमती समय जरूर देते थे ।वे रोज रात में खाने के बाद एक घंटा हमसे हर विषय में परिचर्चा करते थे जिसके कारण हमारा मानसिक विकास होता गया। मैं बचपन से ही बहुत सामाजिक थी। दूसरों के लिए कुछ करने में मुझे बहुत आनंद आता था चाहे वह मेरे घर का कोई काम करने वाला हो या मोहल्ले का कोई ।मां ने सदा बड़ों का आदर करना एवं अतिथि का सत्कार करना सिखाया था। आरंभ से ही मैं पढ़ने में तेज थी अपनी कक्षा में हमेशा अव्वल आती थी । हिंदी मेरा मनपसंद विषय था। स्कूल की सांस्कृतिक गतिविधियों में बराबर हिस्सा लेती थी और जिम्मेदारी के साथ उन्हें पूरा करती थी। अपने अध्यापक गण कि मैं चहेती छात्रा थी एवं अपने मित्रों के बीच भी बहुत लोकप्रिय थी। किसी भी प्रोग्राम की जिम्मेदारी सहर्ष उठा लेती थी और उसे अच्छे से निभाती भी थी ।
विवाह के पश्चात मैं जमशेदपुर आ गई । ससुराल का वातावरण थोड़ा अलग था।मगर धैर्य के साथ मैंने परिस्थितियों को अनुकूल बनाया ।जीवन में कई बार बहुत सी कठिनाई आई लेकिन मैं हारी नहीं क्योंकि मेरी माता जी हमेशा प्रेरणा बन मेरा साथ निभाती रही। दोनों बच्चों की परवरिश मे और परिवारिक जिम्मेदारियों में समय कब बीतता रहा पता ही नहीं चला लेकिन जब बच्चे थोड़े बडे हुए तब मुझे अपना अस्तित्व अधूरा लगने लगा और मेरी इच्छा का सम्मान करते हुए मेरे पति के सुझाव पर ही लायंस इंटरनेशनल की सदस्यता ली।
मैंने बहुत ही धैर्य और लगन से धीरे-धीरे समाज में अपना स्थान बनाया और लायंस क्लब में भी विभिन्न पदों से होते हुए आज मैं सर्वोच्च पद के लिए इलेक्शन में खड़ी हो रही हूँ। मेरी सफलता का पूरा श्रेय मेरे पति और मेरे दोनों बच्चों को जाता है।वे दोनों हर कदम पर मेरे साथ खड़े रहें और खडे हैं । लेकिन हर राह आसान नहीं होती। मैं जो भी जिम्मेदारी लेती हूँ उसमें अपना 100% देती हूं । पूरी ईमानदारी और जोश से उसे निभाती हूँ। मुझे दिखावे के लिए काम करना पसंद नहीं है इसलिए मैं अपने क्लब के साथ जुड़कर जो अपने स्तर से काम कर सकती हूँ , उसे करती हूँ ।
अपने कान्यकुब्ज समाज के साथ जुड़कर मैं महिलाओं के लिए उनके बौद्धिक विकास के लिए कुछ ना कुछ काम करती रहती हूँ। उन सबों के साथ के कारण ही समाज में मेरा एक अपना विशिष्ट स्थान है। आगे भविष्य में भी मैं अपने समाज के लिए कुछ अच्छा करना चाहती हूँ लेकिन कुछ बातें ऐसी हैं जिससे मुझे तकलीफ होती है जैसे हम अपने बच्चों को अपना क्वालिटी टाइम नहीं देते हैं और बच्चे जब गलत करते हैं तो सारा दोष बच्चों को दे देते ।हमें बच्चोंकी नीव मजबूत करनी होगी और उन्हें स्त्रियों की इज्जत करनी सिखानी होगी l मैंने हमेशा अपने पारिवारिक दायित्वों को पूरा करते हुए सामाजिक दायित्वों को निभाया है और सब से यही चाहती हूँ कि पहले अपने परिवार को शिक्षित करें ,समय दें । दुनिया में मेरे जैसे बहुत से लोग है और ऐसे ही लोगों के साथ जुड़कर मैं बेहत्तर काम करना चाहती हूँ।अपने लिए तो सभी जीते हैं मैं दूसरों के लिए भी जीना चाहती हूँ । मैं दूसरों की मदद करने के लिए हमेशा तैयार रहती हूँ। हम उदाहरण बहुत देते हैं लेकिन हमें अपने ऊपर अमल करके तब दूसरों को सीख देनी चाहिए इसलिए मैं कोशिश करती हूँ कि अपने से शुरुआत करूँ फिर दूसरों को अमल करने के लिए कहूँ।
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मैं थोड़ा बहुत लिखती भी हूँ। अपनी भावनाओं को जब काबू नहीं कर पाती तो उन्हें शब्दों के रूप में कागज में उतार देती हूँ । मिल -जुल कर रहना मुझे बहुत अच्छा लगता है। मेरी कोशिश यही रहती है कि मेरे द्वारा किसी को तकलीफ ना पहुंचे। अपने जीवन में मैंने अपनी मां की बात को बहुत महत्व दिया है कि अन्याय सहना और करना दोनों गलत है और मैं अपने जीवन में इसको अमल करने की पूरी कोशिश करती हूँ।
लायंस क्लब द्वारा आयोजित इंटरनेशनल लीडरशिप ट्रेनिंग भी मैंने की थी जिससे मुझे बहुत कुछ सीखने को मिला। जहाँ भी सीखने का मौका मिलता है मैं वह मौका नहीं छोड़ती हूँ । कभी-कभी प्रतियोगिताओं में भी भाग लेती हूँ जैसे जमशेदपुर मास्टर शेफ एवं अन्य प्रतियोगिताएं। मैं हमेशा अपने को व्यस्त रखने की कोशिश करती हूँ। मैं ईश्वर को धन्यवाद देती हूँ कि उन्होंने हमेशा मुझे खुश और संतुष्ट रखा। मैं हमेशा दूसरों के लिए काम करना चाहती हूँ यही उद्देश्य हैं मेरे जीवन का ।
इन सामाजिक कार्यों के प्रोत्साहन स्वरूप मुझे बहुत सारे इंटरनेशनल और नेशनल अवार्ड मिले। आज से 2 साल पहले मुझे vibrant lion of the district award मिला जोकि जिले का सबसे प्रतिष्ठित अवार्ड है। इसके अलावा भी मुझे हर साल अपने कार्य के लिए कुछ ना कुछ अवार्ड मिलता रहता है जिससे आगे और भी अच्छा काम करने की प्रेरणा मिलती है। मैंने काठमांडू में इंटरनेशनल लीडरशिप की ट्रेनिंग ली । अभी हाल में ही पर्सनालिटी ऑफ द इवनिंग के खिताब से नवाजा गया।। मेरे बच्चों ने मेरे सारे अवॉर्ड्स घर में सजा दिए हैं और जिनको देखकर मुझे लगता है कि हां मैंने एक सार्थक जीवन जिया है।इन सबके अलावा मुझे पढ़ना अच्छा लगता है योगा के साथ साथ में जुंबा और ट्रैकिंग का भी आनंद उठाती हूं और कोई भी रोमांचक कार्य करने में मुझे बड़ा मजा आता है। यह जिंदगी ईश्वर कि नियमत है और मैं इसे बहुत अच्छे से जीना चाहती हूं।
सीमा बाजपेयी
डी सी पीस पोस्टर
लायंस क्लब
संस्थापक अध्यक्ष, अनुभूति