हम तुम
हम तुम जब मिले
थे कितने अंजान
एक दूसरे से
बिल्कुल दो अजनबी से
धीरे धीरे हुई जान पहचान
कभी नोंक झोंक
कभी तीखी तकरार
कभी गुस्सा
कभी सुलह
यूँ कब फिर बन गए दोस्त
और रंग गये एक दूजे के
प्यार में खबर भी न हुई
यूँ वक्त लेता रहा इम्तिहान कई
हर मोड़
आखिर जीत सबसे बंधे
विवाह बंधन में हम
हम तुम ही जन्मों के मीत
रंग तेरे रंग में सीखा जीना
देखा दुनिया का घर से निकल
यूँ बन मन मित चल पड़े
ज़िन्दगी की डगर पर
और बसा ली प्यारी सी
छोटी सी दुनिया अपनी
हम तुम मिले थे अजनबी
अब हैं एक दूजे की जान
और है ये साथ बड़ा प्यारा
बस है अर्ज इतनी बन मनमीत
यूँ ही चलता रहे सफर
तेरी पनाहों में हमसफ़र
सदा सदा यूँ ही हर जन्म
चाहे कभी रूठे मनाएं
चाहे हो अनबन उदासी
बस प्यार से चलता रहे
जीवन रंगा एक दूजे में
सदा सदा यूँ ही हर जन्म।।
मीनाक्षी सुकुमारन
साहित्यकार
नोएडा, उत्तर प्रदेश