शिक्षा नीति 2020 मे शिक्षक
आखिरकार चौंतीस वर्षों की प्रतीक्षा के बाद नई शिक्षा नीति 2020 का आगमन हो गया है,जिसके ड्राफ्ट को केबिनेट ने जुलाई 2019 मे मंजूरी दे दी है जो अबतक की शिक्षा नीतियों से कई मायनो मे अद्भुत और अद्वितीय है,जिसमे बहुत बारीकी से हर पहलू पर विभिन्न अध्यायों के अंतर्गत विचार किया गया है।आज हम विश्लेषण करते है पाँचवें अध्याय का जिसमे शिक्षकों के लिए कुल उन्नतीस अनुच्छेद शामिल किए गए हैं।
भर्ती और पदस्थापन
नर्ई शिक्षा नीति 2020 इसबात को स्वीकारता है कि शिक्षकों के प्रति आदर और सम्मान के भाव को पुनर्जीवित करना होगा ताकि शिक्षण व्यवसाय मे बेहतर लोगों को शामिल करने हेतु प्रेरित किया जा सके और देश का भविष्य मजबूत और प्रतिभाशाली कंधों पर हो।
इस हेतु चार वर्षीय इंटीग्रेटेड कोर्स का प्रावधान किया गया है, जिसमे छात्रवृति योजना,ग्रामीण क्षेत्रों से छात्रों को जोड़ना आदि शामिल हैं,इसका मुख्य आकर्षण है,परिसर मे आवास और भत्ता मे वृद्धि।नई शिक्षा नीति 2020 इस बात पर बल देता है कि शिक्षक और समुदाय के बीच संबंध बने जिसके लिए बार बार के स्थानांतरण को कम करने की बात की गई है,स्थानांतरण मे पारदर्शिता बनी रहे इसके लिए साफ्टवेयर आधारित स्थानांतरण प्रकिया का उल्लेख है।वर्तमान मे जो टी ई टी परीक्षा की सामग्री है उसे हर स्तर पर अद्यतन करने का प्रावधान है।यह स्वागत योग्य कदम है कि अब शिक्षकों की भर्ती मे साक्षात्कार का चरण भी शामिल किया गया है हालांकि केन्द्रीय विद्यालय और नवोदय विद्यालय जैसे संस्थाओं मे यह पहले से ही है।एक बहुत अच्छी बात यह है कि स्थानीय ज्ञान और विशेषज्ञता को बढ़ावा देने के लिए पारंपारिक स्थानीय कला,व्यवसायिक शिल्प मे जिन व्यक्तियों को विशेषता है उन्हें प्रशिक्षक के तौर पर रखने की बात की गई है। बहुत सारे शिक्षक शिक्षा कार्यक्रम और आफरिंग और ग्रुपिंग आफ स्कूल जैसी नई अवधारणा का उल्लेख है जो निश्चित रूप से स्वागत योग्य कदम है।एक नाकारात्मक बात यह है कि अगले दो दशकों मे शिक्षक रिक्तियों के आकलन की बात की गई जो एक लंबी अवधि है यह काम थोडा जल्दी होना चाहिए था बीस वर्ष मे तो एक शैक्षिक पीढी समाप्त हो जाएगी!
सेवाकाल के दौरान कार्य और सांस्कृतिक वातावरण
शिक्षकों के समावेशी समुदाय का हिस्सा होने की चर्चा की गई है जिसमे कामन लक्ष्य पर विशेष बल दिया गया है।नई शिक्षानीति मे शिक्षकों के लिए सभ्य एवं सुखद कार्य स्थिति का उल्लेख किया गया है जिसमें पर्याप्त भौतिक संसाधन शौचालय, स्वच्छ पेयजल,सीखने के लिए पर्याप्त स्वच्छ स्थान और अच्छी बात है कि यह सुविधा सभी के लिए होगी शिक्षक छात्र सभी जेंडर दिव्यांग बच्चों सहित।यहां तक की सेवाकालीन प्रशिक्षण अवधि मे भी सुरक्षा और स्वास्थ्य पर्यावरण की बात की गई है।प्रभावशाली स्कूल प्रबंधन के साथ ही अभिभावकों और स्थानीय हितधारकों के साथ सहयोग और शिक्षकों के प्रबंधन समीति मे होने की बात कही गई है जो स्वागत योग्य कदम है।एक बहुत अच्छी बात यह है कि शिक्षकों को गैर शैक्षणिक कार्यों से रोकने का प्रस्ताव भी है, विशेषतौर से मध्याह्न भोजन।शिक्षक स्वायत्तता इस बात पर बल देता है कि कक्षा और शिक्षा अधिक प्रभावी हो और छात्रों का सर्वांगीण विकास संभव हो।
सतत व्यवसायिक विकास (सी पी डी)
शिक्षक को खुद मे सुधार करने के लिए और पेशे से संबंधित आधुनिक विचार नवाचार को सीखने के सतत अवसर दिए जाएंगे जिसमे प्रत्येक वर्ष 50 घंटो की सी पी डी कार्यक्रम मे हिस्सा लेना शामिल है,औसतन देखा जाए तो सप्ताह मे एक घंटा यह कुछ ज्यादा नहीं है शिक्षण जैसे पेशे मे इतना तो अपेक्षित है।स्कूल के प्राधानाचार्य और कामप्लेक्स के प्रमुखों के लिए एक समान माड्यूलर लीडरशिप /मैनेजमेंट कार्यशाला होगी ।
करियर मैनेजमेंट और प्रगति (सी एम पी)
नई शिक्षा नीति इसबात पर बल देता कि उत्कृष्ट प्रदशर्न कर रहे शिक्षकों की पहचान की जानी चाहिए और उन्हें पदोन्नति और वेतनवृद्धि दी जानी चाहिए इससे लाभ यह होगा कि दूसरे शिक्षक भी अपने बेहतरीन प्रदशर्न के लिए प्रोत्साहित होंगे।इसके अलावा यह सुनिश्चित किया जाएगा कि उत्कृष्ट शिक्षक जिन्होंने नेतृत्व और प्रबंधन के कौशलों को दर्शाया होगा उन्हें स्कूल कामप्लेक्स, बी आर सी,बी आई ई टी ,डी आई ई टी के साथ साथ संबंधित सरकारी विभागों और मंत्रालयों मे अकादमिक नेतृत्व कर सकेंगे और क्या चाहिए।
शिक्षकों के लिए व्यवसायिक मानक
एन सी टी ई ,एन सी ई आर टी एवम एस सी ई आर टी से परामर्श के बाद शिक्षकों के लिए राष्ट्रीय व्यवसायिक मानकों (एन पी एस टी) का एक सामान्य मार्गदर्शक सेट 2022 तक विकसित किया जाएगा।इसकी समीक्षा 2030 मे की जाएगी संसोधनों के बाद हर 10 वर्ष पर व्यवस्था की गुणवत्ता का सख्त आनुभविक विश्लेषण किया जाएगा जो इसको अद्यतन बनाए रखेगा।
विशिष्ट शिक्षक
नई शिक्षानीति इसबात को स्वीकारता है कि अतिरिक्त विशिष्ट शिक्षकों की अति आवश्यकता है, जिसमे विषय विशेषज्ञता के साथ ही साथ विशेष आवश्यकता वाले बालकों की आवश्यकताओं को समझने का कौशल भी हो यह निश्चित रूप से लाभ दायक होगा।
शिक्षक शिक्षा का दृष्टिकोण
यह मानते हुए कि शिक्षकों को उच्चतर गुणवत्ता की सामग्री के साथ साथ शिक्षण शास्त्र मे प्रशिक्षण की आवश्यकता होगी शिक्षक शिक्षा को 2030 तक बहुविषयक कालेजों और विश्वविद्यालयों मे शामिल किया जाएगा जोकि स्वागतयोग्य कदम है।सभी बीएड कार्यक्रमों मे भारतीय संविधान के मौलिक कर्तव्यों (अनुच्छेद 51A)और अन्य संवैधानिक प्रावधानों को पालन करने पर बल दिया जाएगा जिससे पर्यावरण के प्रति संवेदनशीलता विद्यालयी शिक्षा का अभिन्न अं बन सके,साथ ही अल्पावधि शिक्षा कार्यक्रमों का भी प्रावधान है।यहाँ यह भी उल्लेखनीय है कि वर्ष 2021तक एन सी टी ई द्वारा एन सी ई आर टी के परामर्श से नई शिक्षा नीति 2020 के सिद्धांतों के आधार पर एक नवीन और व्यापक अध्यापक शिक्षा हेतु राष्ट्रीय पाठ्यचर्या रूपरेखा एन सी एफ टी ई 2021 तैयार की जाएगी और अचू बात यह है कि इसमे 5 से 10 वर्षों पर संसोधन का भी प्रावधान होगानई शिक्षानीति के सभी प्रवाधान विशेषकर शिक्षक संबंधित स्वागतयोग्य हैं यह न केवल शिक्षकों को स्वायत्तता और सामर्थ्य प्रदान करेंगे अपितु परिश्रम और नवाचार के लिए प्रेरित भी करेंगे बशर्ते इसका क्रियान्वयन धरातल पर हो और यह सिर्फ एक दस्तावेज ना होकर शिक्षा व्यवस्था का नवदीप हो।
कुमुद रंजन झा
साहित्यकार,शिक्षाविद्
गाजियाबाद,उत्तर प्रदेश