बुरा है

बुरा है

हाँ हिंदु बुरा है न मुसलमान बुरा है
जो ज़ेहन का गंदा हो वो इंसान बुरा है

ए भाई मेरे ,प्यार के चल फूल खिलाएं
यह तोप यह तलवार ये सामान बुरा है

दोनों का लहू पीके भी प्यासा ही रहेगा
ए दोस्त मेरे ,जंग का मैदान बुरा है

इँसान किये जाता है शैताँ के सभी काम
अब कौन यह कहता है कि शैतान बुरा है

तारिक़”मेरे भारत से नही कोई भी प्यारा
यह पाक,यह अमरीका,यह जापान बुरा है

 

तारिक़ रामपुरी
साहित्यकार
उत्तर प्रदेश

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