बसंत
आया बसंत
हर्षित हुए अनंग
धरती का मगर देख हाल
सिकुड़ा किंचित मस्तक भाल
दिल्ली में जब देखा तनाव
बदले अपने मन के भाव
किया उन्होंने एक एलान
लड़ूंगा अबकी मैं भी चुनाव
दिखाऊंगा अपना प्रभाव
रति लाना मेरा धनुष बाण
सुनो सब मेरा संकल्प पत्र
मैं ही हूं बस तुम्हारा विकल्प
तुम भी मेरा संग देना
बसंती मन सबका रंग देना
कोई सड़क नहीं बाधित होगी
पुष्पों से आच्छादित होगी
मलय बहेंगे लिए सुगंध
मादकता फैलेगी कण कण
स्वच्छ जल निर्झर होगा
पर वोट मुझे देना होगा
शशि स्वयं धरा पर आयेंगे
शीतलता फैलायेंगे
बिजली बिल की फिर क्या सुध होगी
चहुंओर चांदनी आच्छादित होगी
खग वृंद मधुर स्वर गायेंगे
प्रेम रस फैलायेंगे
नर नारी सभी मगन होंगे
मुख्यमंत्री जब स्वयं मदन होंगे
रंग रास छा जाएगा
प्रेम रस बरसाएगा
राज्य की सुंदर गति होगी
उपमुख्यमंत्री स्वयं रति होंगी
अपने मन की सुनना तुम
वोट मुझी को देना तुम
डॉ रेणु मिश्रा
कवयित्री और पूर्व प्राध्यापक
गुड़गांव, हरियाणा