“नारी तुम”

“नारी तुम”

हम नारी हैं, एक शक्ति हैं,
इस गौरवशाली देश के,
सदियों से देश का गौरव हैं,
सदैव सर्वोच्च धरोहर हैं,
इस जीवन को व्यर्थ न करो,
नारी जीवन को सार्थक करो,
हिम्मत को अपना साथी बनाकर,
हर मंजिल को फतह करो,
उठो लड़ो और आगे बढ़ो,
हर संकट का हरण करो,
नारी हैं हम…..
नारी होने का गर्व करो,
चाहे कितने युग आए,
जगत जननी ही कहलाए,
अब बदल गई पहचान भले,
पर !!
कुछ कर गुजरने की आशा है,
जिस क्षेत्र में उतर जाए हम,
सर्वश्रेष्ठ कर दिखलाए,
ऐसा कोई क्षेत्र नहीं,
जहां नारी ने…..
परचम न लहराया हो,
ऐसा कोई काम नहीं,
जो !
नारी ने कर न दिखाया हो,
नारी शक्ति का उल्लेख,
युगों-युगों में हमने पाया है,
हे नारी !!!!
तू प्रेम की शुरुआत हो,
जीवन का आगाज हो,
संस्कारों की खान हो,
त्याग ममता की पहचान हो,
खुशियों का संसार हो,
जीने का आधार हो,
नारी तू तो……….
स्नेह प्रेम करूणा का सागर,
शक्ति और ममता का गागर,
तू कोमल है कमजोर नहीं,
तेरा ही तुझ पर जोर नहीं,
ऐसा तुम संकल्प करो,
अब सम्मान मिले हर नारी को,
हर जुल्मों से वो मुक्त है,
हर नारी का सम्मान हो,
हर नारी का मान हो।

पद्मा प्रसाद
साहित्यकार
जमशेदपुर,झारखंड

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