देश पर बदनुमा दाग ; कश्मीरी पंडितों का कश्मीर से पलायन

देश पर बदनुमा दाग ; कश्मीरी पंडितों का कश्मीर से पलायन

अखंड भारत पर ग्रहण उसी समय लग चुका था जब 1947 में नेहरू जैसे रहनुमाओं ने कश्मीर को अलग से संविधान की सुविधा के रूप में 370 धारा जैसा कोढ़ दे दिया। इसी का लाभ उठाकर मजहब के नाम पर अलग होने वाले कुछ देशद्रोहियों का खुन्नस कश्मीर में पाकिस्तान के आतंकवादियों से गलबहियाँ बन जाना हुआ। बंगला देश के विभाजन के समय एक और भूल तत्कालीन प्रधानमंत्री ने की ,कि उसे अलग राष्ट्र का दर्जा प्राप्त करने दिया जिसका परिणाम हुआ कि पाकिस्तान की छाती पर एक और घाव बन गया और भारत को मजहब के नाम पर अलग करने की मुहिम तेज़ हो गई। जिस प्रकार 50 वर्षों में लेबनान ईसाई देश से मुस्लिम घुसपैठियों के कारण और वहाँ इस्लामिक सल्तनत विस्तार के नाम पर मूल ईसाईओं को बेइज़्ज़त कर ,मारकर ,बहन बेटियों की इज्ज़त को चूर -चूर कर उन्हें बेघर कर दिया उसी तर्ज़ पर कश्मीर में भी पाकिस्तानी आई एस आई और हमारे नमकहराम कश्मीर के रहनुमाओं के शह पर वहाँ के मूल निवासी कश्मीरी पंडितों को मुस्लिम धर्म जबरन कुबूल करवाकर और मार पीट कर उनकी संपत्ति पर हक़ जमा कर उन्हें कश्मीर से भागने के लिए मजबूर कर दिया। यह सारी घटना वहाँ की सरकार प्रसन्नमुद्रा में देखती रह गई और देखती रही केंद्र की कांग्रेस सरकार अपनी आँखों के सामने जिसका परिणाम हुआ कि पाँच लाख से अधिक कश्मीरी पंडितों को बेइज़्ज़त होकर अपने ही देश में शरणार्थी बनकर अभिशप्त जीवन जीने के लिए मजबूर होना पड़ा।

 

भला हो वर्तमान मोदी सरकार का कि दूसरी बार केंद्र में सरकार बनाने के 6 महीने के भीतर ही 370 धारा जो कोढ़ के समान भारत के ललाट पर था,उसे एक झटके में समाप्त कर दिया। कश्मीरी पंडितों के दिल में तो उन्हें फिर से कश्मीर वापस जाने की तो आशा जागी और खुशी हुई पर देश के वोट बैंक की राजनीति करने वालों को इस कदम से अपार कष्ट हुआ।

आज अपने देश में ही करोड़ों के कभी संपत्ति के मालिक कश्मीरी दाने –दाने के लिए भिखारी के रूप में तंबुओं में जीवन जी रहे हैं जिस पर किसी भी कलाकार और साहित्यकार को संविधान का संकट नहीं दिखाता है और न अपना सम्मान वापस करते हैं पर नागरिकता कानून के लागू होने पर जिन्ना वाली आज़ादी के नारे से भारत रत्न पूर्व राष्ट्रपति को शांतिपूर्ण युवाओं का आंदोलन नज़र आता है। सारे कांग्रेस के नेता ,मार्क्सवादी और आप जैसे राजनीतिक दल सत्ता को पाने के लिए फिर से देश को टूकड़े करवाने के लिए तैयार है ,ऐसे ही पिट्ठू अंग्रेजों के समय थे जिसके कारण देश गुलाम था और अंग्रेजों के साथ हमारे देश के लोगों को प्रताड़ित किया था। आज पुनः देश उसी मोड पर आ खड़ा हुआ है। आवश्यकता है कि भारत के युवा जागें और इन सत्ता के लोलुप दलों को उनको मुह की खाने के लिए मजबूर करें।

 

डॉ॰ अरुण सज्जन
सह-प्राध्यापक
डी बी एम एस कॉलेज ऑफ एजुकेशन
लोयोला स्कूल जमशेदपुर

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