हिन्दी मेरी हिन्दी………हिन्दी से हिंदी तक।।।।।।

हिन्दी मेरी हिन्दी………हिन्दी से हिंदी तक।।।।।। देश स्वतंत्र नहीं था तो लोगों के हृदय में राष्ट्र जागरण की भावनाएं हिलोर मारती थी लोग हिन्दी के प्रति समर्पित थे केवल वे परिवार ही जो या तो अंग्रेजों के पिट्ठू थे या अंग्रेजों के द्वारा कराई गई कमाई से मोटे हुए जा रहे थे अंग्रेज़ी पढ़ते थे…

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हिन्दी

हिन्दी    मैं भारत की बेटी, आपकी आपनी हिन्दी हूँ हाँ , हिन्दी हूँ मैं हिन्दी हूँ भारतीय संस्कृति सभ्यता के ललाट पर सजी मैं बिंदी हूँ हर कोई मुझे सजा रहा है मुझे वसन नए पहना रहा है शोभा हूँ मैं इस युग की नहीं काग़ज़ की चिन्दी हूँ हाँ , हिन्दी हूँ मैं…

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मैं उन्हें पहचान ही न सकी

मैं उन्हें पहचान ही न सकी निशान्त ने जब बताया कि उसके रिसर्च डिपार्टमेन्ट में कोई डॉ. कृष्णन् मुंबई से सीनियर एनर्जी प्लानर के पद पर एक वर्ष के लिए आ रहे हैं तो जेहन में खुशी की लहर सी दौड़ गई। निशान्त के रिसर्च डिपार्टमेन्ट में पन्द्रह लोग पन्द्रह देशों के, मतलब हमारे लिये…

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मौसी

मौसी मैं ‘आल इंडिया ओरिएण्टल कांफ्रेंस’ में शिरकत करने कश्मीर गई हुई थी।उस दिव्य प्रदेश का अवलोकन कर मैं अचरज में थी कि इतना मनोरम दृश्य ! वास्तव में इसे धरती का स्वर्ग कहना कोई अतिशयोक्ति नहीं होगा। यह तो ख्वाब से भी बढ़ कर है। मैं ऐसा अनुभव कर रही थी, जैसे स्वप्न देख…

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साँझ

साँझ गाड़ी तेजी से पटना से राजगीर की ओर बढ़ रही थी। हल्की बूंदा-बांदी शुरू हो गई थी। आषाढ़ का महीना चढ़ा ही था। मोना सुबह आठ बजे पति राजेश के साथ घर से निकली थी। राजेश को ऑफिस के कार्य से वहाँ तीन दिनों के लिए रूकना था। मोना की एक सहेली रीना राजगीर…

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नया सफर 

नया सफर  राधा ने नए शहर में अपनी नई नौकरी के पहले दिन के लिए खुद को तैयार किया। बचपन में पिता के निधन के बाद, उसकी माँ ने उसे अकेले पाला था। रिश्तों का उसका अनुभव सीमित था। समुद्र तट पर बसे इस छोटे से शहर में एक वृद्धाश्रम था, जिसका नाम था ‘शांतिवन’…

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एक थी कल्ली

एक थी कल्ली   तूने आज फिर मुझे रुला दिया कल्ली। अपनी पच्चीस बरस की नौकरी में तेरी जैसी न जाने कितनी छोरियां इस बाल सुधार गृह में आई और चली गई। लेकिन तूने तो पहले दिन से ही …. ऐसा किया जिसे कोई नहीं भूल सकता। चोरी चकारी, मारपीट, हुल्लड़बाजी, गाली गलौच और फिर…

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