हिन्दी मेरी हिन्दी………हिन्दी से हिंदी तक।।।।।।

हिन्दी मेरी हिन्दी………हिन्दी से हिंदी तक।।।।।। देश स्वतंत्र नहीं था तो लोगों के हृदय में राष्ट्र जागरण की भावनाएं हिलोर मारती थी लोग हिन्दी के प्रति समर्पित थे केवल वे परिवार ही जो या तो अंग्रेजों के पिट्ठू थे या अंग्रेजों के द्वारा कराई गई कमाई से मोटे हुए जा रहे थे अंग्रेज़ी पढ़ते थे…

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हिन्दी

हिन्दी    मैं भारत की बेटी, आपकी आपनी हिन्दी हूँ हाँ , हिन्दी हूँ मैं हिन्दी हूँ भारतीय संस्कृति सभ्यता के ललाट पर सजी मैं बिंदी हूँ हर कोई मुझे सजा रहा है मुझे वसन नए पहना रहा है शोभा हूँ मैं इस युग की नहीं काग़ज़ की चिन्दी हूँ हाँ , हिन्दी हूँ मैं…

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